नई दिल्ली
भारत, अमेरिका और आईपीईएफ समूह के 12 अन्य सदस्यों ने आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन लाने संबंधी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
इससे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उत्पादन केंद्रों के संभावित स्थानांतरण और आपूर्ति श्रृंखला के झटकों से होने वाले आर्थिक व्यवधानों के जोखिमों को कम करने में मदद मिलेगी।
समझौते पर सैन फ्रांसिस्को में हस्ताक्षर किए गए।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) की मंत्रिस्तरीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए अभी सैन फ्रांसिस्को में हैं।
इस समझौते से भारत जैसे सदस्य देशों की चीन पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।
गोयल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भारत ने अमेरिका और 12 अन्य आईपीईएफ भागीदारों के साथ ‘आईपीईएफ सप्लाई चैन रेजिलेंस एग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर किए। यह अपनी तरह का पहला अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करेगा और अनुकूलनशीलता तथा स्थिरता को बढ़ावा देगा।’’
समूह के सदस्यों ने इस समझौते पर इस साल 27 मई को डेट्रॉयट में बातचीत संपन्न की थी।
इस समझौते से आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण, निवेश जुटाना, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की बेहतर पहुंच, एमएसएमई को समर्थन और एक निर्बाध क्षेत्रीय व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने में मदद मिलेगी, जो भारतीय उत्पादों के प्रवाह को सुविधाजनक बनाएगा।
आईपीईएफ का गठन पिछले साल 23 मई को जापान की राजधानी तोक्यो में अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य भागीदार देशों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।
ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, अमेरिका और वियतनाम इसके सदस्य देश हैं।