Home मध्यप्रदेश मप्र में योजनाओं ने बदल दिया आम व्यक्ति का जीवन

मप्र में योजनाओं ने बदल दिया आम व्यक्ति का जीवन

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भोपाल

राजनीतिक इच्छा शक्ति किस तरह से काम करती है, वैसे तो समय-समय पर इसके कई उदाहरण देखे जा सकते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में जो शिवराज सरकार ने किया, एक बड़े राज्य के तौर पर वह उपलब्धियां अपने आप में खास हो गई हैं। योजनाएं बनवाना और उन्हें लागू करने में जुटे रहने का जज्बा सभी ने मप्र की भाजपा सरकार में देखा।

शिवराज सरकार में मप्र का कई गुना बढ़ा बजट

बिमारज प्रदेश से खुशहाल प्रदेश तक का एक लम्बा सफर इस राज्य ने पिछले दिनों तय किया है, जिसमें कि सबसे ज्यादा विकास के दौर के वक्त राज्य में भाजपा की सरकार रही है। इससे पहले लम्बे समय तक कांग्रेस की सरकारों के दौरान मप्र बिमारज प्रदेश की छाप से बाहर नहीं निकल पा रहा था, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल नहीं है। राज्य का जो बजट कभी कांग्रेस की सरकार में 23 हजार 161 करोड़ तक सीमित हुआ करता था, वह आज भाजपा के 18 सालों के शासन के दौरान कई गुना बढ़कर तीन लाख 14 हजार 25 करोड़ पर जा पहुंचा है। राज्य की आर्थिक वृद्धि दर देखने लायक है। यह 4.43 से बढ़कर 16.43 प्रतिशत पर आ गई है।

राज्य की सफल नीतियों से ऋण-जीएसडीपी का अनुपात घटा है। यह 31.6 से 27.8 प्रतिशत पर आ गया है और सकल घरेलू उत्पाद कम्पाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट में लगभग 17 प्रतिशत, यानी कि पहले की तुलना में 86, 800 करोड़ से बढ़कर 13 लाख 22 हजार, 821 करोड़ के पार जा चुकी है। इसी तरह से मध्यप्रदेश में प्रतिव्यक्ति आय भी कई गुना बढ़ गई है, यह 11 हजार 718 से आगे आकर एक लाख 40 हजार 583 रुपए प्रतिव्यक्ति पर जा पहुंची है।

मप्र में जनकल्याणकारी योजनाओं का मल्टीपल इंपैक्ट दिख रहा

इस संबंध में आर्थिक विश्लेषक ज्ञानेश पाठक का मानना है कि प्रदेश में हुआ यह सकारात्मक परिवर्तन उन तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं का मल्टीपल इंपैक्ट है, जो बीते सालों में प्रमुखता से यहां लागू की गईं। इनका कहना है कि विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों के बहुआयामी प्रभाव उत्पन्न होते हैं, जोकि कुछ तत्काल तो कुछ दीर्घकाल में किंतु लम्बे समय तक के लिए दिखाई देते हैं। इस दिशा में लम्बे समय तक प्रदेश में एक ही राजनीतिक पार्टी की सरकार रहने से उसकी सोच को पूरी तरह से गति मिल सकी है।

अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी विद्वान डॉ. नीलू दुबे योजनाओं में लाभ को कुछ इन आंकड़ों से गिनाती हैं। वे कहती हैं, आज शायद ही राज्य का कोई ऐसा व्यक्ति या परिवार नहीं बचा होगा, जहां शिवराज सरकार की किसी सरकारी योजना का लाभ न मिलता हो। स्वच्छ भारत अभियान में 71 लाख से अधिक घरों में शौचालय बनाए गए। प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर करीब 41 लाख परिवारों को पक्के घर मिले हैं। प्रदेश में 3.61 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड वितरित किए गए हैं, जिनसे 29.5 लाख लोगों को निशुल्क उपचार मिल रहा है। गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 5.18 करोड़ लोगों को प्रतिमाह मुफ्त राशन मिल रहा है।

गरीबी उन्मूलन में लाडली बहना योजना भी बड़ी प्रभावी साबित हो रही

इसके साथ ही डॉ. नीलू प्रदेश सरकार की अकेली संबल योजना को लेकर बताती हैं कि अब तक 4.80 लाख से अधिक हितग्राहियों को 4300 करोड़ रुपये के हितलाभ दिये जा चुके हैं। संबल-2 योजना में 17 लाख से अधिक हितग्राहियों को जोड़ा गया। प्रदेश की 82 लाख महिलाओं को उज्ज्वला गैस कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इनका मानना है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा हाल ही में शुरू की गई लाडली बहना योजना गरीबी उन्मूलन में बड़ी प्रभावी साबित हो रही है। इस योजना के अंतर्गत 1.31 करोड़ से अधिक महिलाओं को पहले 1000 रुपये और अब 1250 रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं। इनका कहना है कि पीएम स्वनिधि योजना और मुख्यमंत्री पथ विक्रेता योजना के माध्यम से 11 लाख से अधिक छोटे व्यवसायियों को 10 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक का बिना ब्याज का ऋण दिया गया है।

मप्र को मिल रहा केंद्र की मोदी सरकार का भरपूर सहयोग

केंद्र राज्य संबंधों के जानकार शोध विश्लेषक डॉ. आनंद शुक्ला इस संबंध में राज्य की योजनाओं के साथ मप्र के विकास के लिए केंद्र की मोदी सरकार को भी श्रेय देते नजर आए। वे बताते हैं कि केंद्र की योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य सरकारों पर निर्भर करता है। कई राज्यों में विरोधी दलों की सरकारें होने से ये योजनाएं कई बार लागू ही नहीं हो पातीं, जैसा हम प. बंगाल, राजस्थान और कमलनाथ सरकार के समय मध्यप्रदेश में भी देख चुके हैं। राज्य सरकारों की उदासीनता के चलते इन योजनाओं के लिए केंद्र से मिले फंड वापस लौट जाते हैं। खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। लेकिन बीते सालों में मप्र की शिवराज सरकार ने जिस उत्साह के साथ केंद्र की योजनाओं को लागू करती दिखी है, उससे आम व्यक्ति के जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव देखा गया।

डॉ. शुक्ला का कहना है उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, स्वच्छ भारत अभियान, प्रधानमंत्री आवास, आयुष्मान भारत, स्ट्रीट वेंडर योजना सहित अनेक योजनाओं को आप इस संदर्भ में देख सकते हैं। फिर इनमें कई योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश राज्य में इतना अच्छा कार्य हुआ है कि उसे प्रथम श्रेणी में रखा गया है। निश्चित ही इन योजनाओं के प्रभाव से सीधे तौर पर गरीबी उन्मूलन प्रदेश में संभव हो सका है। वे कहते हैं कि मप्र को लेकर अब तक आईं क्रिसिल, मूडीज, फिच, स्टैण्डर्ड एंड पूअर, इक्रा, केअर, ओनिक्रा जैसे सभी रेटिंग एजेंसियों ने माना है कि यह राज्य भारत के कई बड़े राज्यों में पिछले दिनों तेजी से पीछे छोड़ आगे बड़ गया है।

छोटे उद्यमियों को आगे बढ़ाकर सरकार ने पाया बेरोजगारी पर काबू

राज्य की छोटे व्यापारियों के हित में आर्थिक नीतियों को लेकर लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष महेश गुप्ता का कहना है कि मप्र में छोटे व्यापारियों और उद्योगपतियों के हित में कई अच्छे निर्णय हुए हैं, प्रदेश की छोटे उद्योगों को ताकत देने के लिए ही राज्य शासन द्वारास्टांप शुल्क घटाने का प्रावधान हुआ। प्रदूषण विभाग द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट के लिए घटा दी गई। राज्य सरकार द्वारा टेंडर प्रक्रिया में 50 परसेंट खरीदी लघु उद्योग निगम द्वारा प्रदेश के उद्यमियों से खरीदना अनिवार्य कर दिया है।

उन्होंने कहा कि इसका परिणाम यह आया कि राज्य में छोटे-मझोले उद्योगों को विस्तार देने की संभावना और अधिक बढ़ गई। इसी तरह से राज्य शासन द्वारा निविदा उपार्जन में दी जाने वाले प्रतिभूति केंद्र सरकार की तरह एमएसएमई के लिए शून्य कर दी गई है एवं निष्पादन प्रतिभूति अधिकतम तीन प्रतिशत कर दी गई है। छोटे उद्यमियों को रोजगार प्रारंभ करने के लिए बुरहानपुर, उज्जैन, देवास जैसे कई जिलों में नए क्लस्टर स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें अब उद्योग स्थापना संबंधी प्रक्रिया तेजी से की जा रही है। हजारों, लाखों नए लोगों को रोजगार मिल सका है। साथ ही शिवराज सरकार ने प्रदेश की अब तक सेंकड़ों की संख्या में छोटे व्यापारियों को करोड़ों रुपए का अनुदान सिंगल क्लिक के माध्यम से दिया है, यह प्रदेश भर के उद्यमियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार देश के 13 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं, जिनमें से 1.35 करोड़ लोग मध्यप्रदेश के हैं। मप्र में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले अधिकांश लोगों के पास आज अपने पक्के घर हैं। उनमें बिजली, पानी, शौचालय और कुकिंग गैस उपलब्ध हैं, उन्हें पर्याप्त भोजन, उपचार और शिक्षा उपलब्ध है।