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इस वर्ष दर्श अमावस्या के दिन बन रहा है यह योग, 500 साल बाद बन रहे ये 8 दुर्लभ संयोग

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सनातन धर्म में दीपावली का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन लक्ष्मी और गणेश की पूजा का विधान है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 500 साल के बाद इस बार के दीपावली पर अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार 12 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी.

 लगभग 500 साल बाद दीपावली पर अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है. जिसमें गजकेसरी योग, उभयचरी योग, हर्ष और दूर्धरा नाम के पांच राज योग का निर्माण हो रहा है. ऐसा योग धन, संपत्ति और प्रतिष्ठा के साथ सफलता और उभयचरी योग आर्थिक समृद्धि को बढ़ाता है.

दीपावली के दिन 8 शुभ संयोग
दीपावली के दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा का विधान है. प्रदोष काल में लक्ष्मी गणेश की पूजा करने से तमाम तरह की परेशानियां दूर होती हैं. मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है. प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समय माना जाता है. 12 नवंबर को प्रदोष कल शाम 5:28 से प्रारंभ होकर रात्रि 8 मिनट तक रहेगा.लक्ष्मी पूजा के समय पांच राजयोग के साथ-साथ आयुष्मान सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बना रहे हैं.

इस शुभ मुहूर्त में होगी दिवाली पर लक्ष्मी पूजा
इतना ही नहीं इस साल दीपावली को लेकर लोगों में कंफ्यूजन भी है की दो दिनों तक दीपावली का पर्व मनाया जाएगा. अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 2:44 से शुरू होगी और 13 नवंबर दोपहर 2:56 तक रहेगी. धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक प्रदोष काल में सूर्यास्त के समय ही अमावस्या तिथि के दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है. ऐसी स्थिति में 12 नवंबर को ही दीपावली का पर्व मनाया जाएगा.

तब से ही प्रतिवर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाता है.

10 नवंबर को धनतेरस पर परंपरा अनुसार दीपावली का पर्व शुरू होगा तो 15 नवंबर को भाई दूज पर इसका समापन होगा. इसके बीच एक दिन सोमवती अमावस्या का पर्व भी रहेगा. दीपावली के साथ सोमवती अमावस्या का विशेष संयोग रहेगा. इस दिन शिप्रा नदी में लोग स्नान व दान, पुण्य के लिए उमड़ेंगे.

पौराणिक गणना के अनुसार प्रदोष काल या स्थिर लग्र में जब महालक्ष्मी की पूजा की जाती है तो चिर स्थाई समृद्धि का योग बनता है. मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. अष्ठविद या दशविद लक्ष्मी की कृपा से आशीर्वाद प्राप्ति के माध्यम से परिवार में सुख, शांति, व्यापार में वृद्धि होती है. इस बार 12 नवंबर को दोपहर में अमावस्या तिथि लगेगी. दीपावली का पूजन प्रदोष काल का माना गया है.

यहां देखें शुभ मुहूर्त
रविवार को प्रदोष काल मे अमावस्या विद्यमान रहेगी. शास्त्रीय अभिमत यह भी है कि जब सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में होते है तो दीपावली के प्रदोष काल की पूजा महत्वपूर्ण मानी गई है. शाम 5:40 से वृषभ लग्र का भी क्रम रहेगा. चौघड़िया भी अच्छा रहेगा. यह क्रम 5:40 से लेकर 8:22 तक का विशेष रूप से रहेगा. रात्रि में स्थिर लग्र में पूजा की जा सकेगी.

सबसे पहले महाकाल में मनेगा उत्सव
हर उत्सव की शुरुआत उज्जैन में बाबा महाकाल से होती है. बाबा महाकालेश्वर यहां के राजा हैं. दीपावली का पर्व सबसे पहले सुबह राजा महाकाल के आंगन तो शाम को प्रजा अपने घरों पर मनाएगी. 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 37 मिनट पर अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी जो 13 नवंबर को सांय 4 बजे तक रहेगी. इसी कारण रविवार की संध्या को दीपावली पर्व मनाते हुए मां लक्ष्मी का पूजन किया जाएगा.