Home मध्यप्रदेश दीपावली : दीपोत्सव की शुरुआत एकादशी से होगी, हर दिन होगा मनोहारी...

दीपावली : दीपोत्सव की शुरुआत एकादशी से होगी, हर दिन होगा मनोहारी शृंगार

1

इंदौर

सुख-समृद्धि और वैभव के पंच पर्व दीपावली इसबार पांच नहीं छह दिन का होगा।इसके चलते पर्व के समूह का क्रम कुछ बदल आ गया है। इसके चलते रूप चतुर्दर्शी का अभ्यंग स्नान और दीपावली पर महालक्षमी पूजन एक ही दिन होगा वहीं गोवर्धन पूजन एक दिन आगे खिसक गया है। महालक्षमी पूजन के अगले दिन सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। ज्योतिर्विद् इस दिन पर्व के समूह के किसी पर्व का न होने की बात कह रहे हैं। इस बीच छह दिनी पंच पर्व की तैयारियां शहर के महालक्ष्‍मी मंदिर में शुरू हो गई है। इस मौके पर कही स्वर्ण शृंगार तो कही महाआरती की तैयारी है।

अनुसार 10 नवंबर को धनतेरस होगी वहीं 11 को प्रदोषकाल में अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए रूप चतुर्दशी तिथि का दीपदान शाम के समय प्रदोषकाल में किया जाएगा जबकि अगले दिन 12 को सुर्योदय से पहले रूप सौंदर्य के लिए तेल-उबटन से अभ्यंग स्नान होगा। इसी दिन प्रदोषकाल में आयुष्मान योग और स्वाति नक्षत्र में सुख-समृद्धि की कामना से महालक्षमी पूजन किया जाएगा

13 नवंबर सोमवार को उदयाकाल में कार्तिक अमावस्या होने से सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। ज्योर्तिविद् विजय विजय अड़ीचवाल ने बताया कि 13 नवंबर सोमवार को अमावस्या तिथि दोपहर 2.57 तक रहेगी। इसलिए अन्नकूट महोत्सव और गोवर्धन पूजा, राजा बलि पूजा 14 नवंबर मंगलवार को होगी।14 नवंबर को कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि दोपहर 2:37 बजे से लगेगी इसकी चलते उदया तिथि के मान से यम द्वितीया पर भाई-दूज 15 नवंबर को होगी। इसी दिन चित्रगुप्त पूजन होगा।

धनतेरस : समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे भगवान धनवंतरी

धनतेरस पर 10 नवंंबर को भगवान धनवंतरी के साथ ही धनलक्षमी और कुबेर का पूजन किया जाएगा। त्रियोदशी तिथि की शुरुआत 10 नवंबर शुक्रवार को दोपहर 12.36 बजे से होगी। मान्यता अनुसार इस दिन आर्युर्वेद के जनक भगवान धनवंतरी का समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसके चलते इस दिन बर्तन की खरीदारी का भी विशेष महत्व है।इस दिन अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए दीपदान शाम को किया जाएगा।

रूप चतुर्दशी : मिलती अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी, रूप चौदस, छोटी दीवाली और नरक निवारण चतुर्दशी सहित विभिन्न नामों से जाना जाता है। यह चतुर्दशी तिथि इस वर्ष 11 नवंबर शनिवार दोपहर 1.58 बजे से 12 नवंबर रविवार को दोपहर 2:45 बजे तक रहेगी।इसके चलते पर्व का दीप दान और अभ्यंग स्नान अलग-अलग दिन होगा।इस दिन सुर्योदय से पहले अभ्यंग स्नान से रोग-शोक और ताप दूर को सौंदर्य और निरोगी काया की प्राप्ती होती है।

दीपावली : सुख समृद्धि के लिए होगा महालक्षमी का पूजन

पंच पर्व का सबसे मुख्य दिन कार्तिक अमावस्या पर सभी प्रकार के वैभव प्रदान करने वाली देवी महालक्षमी का पूजन 12 नवंबर को होगा। इस बार अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 2.46 बजे से प्रारम्भ होगी। प्रदोष काल में महालक्ष्मी पूजा और दीपावली उत्सव मनाया जाएगा।घर-आंगन को रंगोली बनाकर दीपों से सजाया जाएगा। लोग नवीन परिधान में सजधजकर एक दूसरे को पर्व की बधाई देंगे। इसके साथ ही जमकर आतिशबाजी भी होगी।

गोवर्धन पूजन : गोबर से बनाएंगे गोवर्धन, करेंगे पूजन

इस वर्ष गोवर्धन पूजन महालक्षमी पूजन के अगले दिन न होते हुए 14 नवंबर को किया जाएगा। ज्योर्तिविद् कान्हा जोशी ने बताया कि इसके पीछे कारण अमावस्या तिथि का 13 नवंबर को दोपहर 2.57 बजे तक होना है जबकि गोवर्धन पूजा और राजा बलि की पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की उदया तिथि में की जाती है। इस दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजन की पंरपरा है। इसके साथ ही मठ-मंदिर और आश्रमों में अन्नकूट

भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाईदूज

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाई दूज मनाया जाता है। द्वितीया तिथि 14 नवंबर को 2.58 से अगले दिन 2.20 तक रहेगी। इस दिन बहन रोली और अक्षत से अपने भाई का तिलककर उसके उज्जवल भविष्य के लिए आशीष देते हैं।पौराणिक कथा कहती है कि इस दिन यमुनाजी ने अपने भाई यम देवता को घर पर भोजन के लिए आमंत्रित किया था।

कही होगा स्वर्ण शृंगार तो कही 108 दीपों से महाआरती

शहर के महालक्षमी मंदिरों में दीपावली पर कई आयोजन होंगे। इसमें कही स्वर्ण शृंगार किया जाएगा तो कही 108 दीपों से महाआरती की जाएगी।इस कड़ी में शहर के प्राचीन महालक्षमी मंदिर राजवाड़ा में माता लक्षमी के दर्शन के लिए लंबी कतारे लगेगी। इस अवसर पर माता का मनोहारी शृंगार किया जाएगा।महालक्षमी मंदिर यशवंतगंज में विशेष शृंगार और पूजा अर्चना की जाएगी।उषा नगर महालक्षमी मंदिर में 108 दीपों से महाआरती होगी।