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‘वायु प्रदूषण से हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा’, दिल्ली NCR के पॉल्यूशन पर एक्सपर्ट की वॉर्निंग

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नईदिल्ली 

 दिल्ली में साल दर साल अक्टूबर-नवंबर महीने में सांस लेना मुश्किल (Breathing Difficult) होता जा रहा है. इस साल भी दिल्ली की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर को भी पार कर गई है. बीते पांच दिनों से दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक 450-470 के पार चल रहा है, जो वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की पॉल्यूशन (Pollution Limit in Delhi) की लिमिट से कई गुना ज्यादा है. ऐसे में दिल्ली एनसीआर के अस्पतालों में 25 प्रतिशत मरीजों की संख्या बढ़ गई है.

डॉक्टरों की मानें तो दिल्ली-एनसीआर में खराब एयर क्वालिटी से कैंसर, अस्थमा, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में तेजी आ सकती है. इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं, गंभीर रोग से ग्रस्त मरीजों और बच्चों में भी पेरशानी बढ़ सकती है. हेल्थ पर काम करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि वायु प्रदूषण रेस्पिरेटरी सिस्टम को नुकसान पहुंचाने के साथ हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक को बढ़ावा देता है.

आपको बता दें कि दिल्ली में प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए ग्रैप का चौथा चरण रविवार देर रात लागू कर दिया गया है. इसके तहत रविवार देर रात से डीजल चालित हल्के और भारी वाहनों जैसे ट्रकों की आवाजाही पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है. साग-सब्जी, दूध-दही, फल-फूल और दवा जैसी जरूरी सामान की आपूर्ति सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों से होगी. इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने 5वीं तक के स्कूलों को 10 नवंबर तक बंद करने का आदेश पहले ही जारी कर दिया है. वहीं, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा के छठी से 12वीं तक की क्लास ऑनलाइन कर दिया गया है.

दमघोंटू हवा से कब मिलेगी निजात?
बता दें कि ग्रैप- 4 तब लगाया जाता है, जब उस जगह का वायु गुणवत्ता सूचकांक 450-500 के बीच पहुंच जाता है. दिल्ली-एनसीआर में ग्रैुप-IV लागू होने के साथ ही ग्रैप- 1, ग्रैप- 2, ग्रैप- 3 के नियम भी पहले की तरह लागू रहेंगे. इनके तहत गैर-जूरी कंस्ट्रक्शन वर्क, बीएस-3 और बीएस- 3 कैटेगरी वाले पेट्रोल और BS-4 कैटेगरी वाले डीजल चार पहिया वाहनों पर बैन लगा दिया जाता है.

महिलाओं और बच्चों पर कितना खतरा?
एम्स दिल्ली के मुताबिक, प्रदूषण का सबसे ज्यादा खतरा, बुजुर्ग, गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीज, प्रेग्नेंट महिलाओं और बच्चों में होता है. खराब एयर क्वालिटी प्रेग्नेंट महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंचाती है. साथ ही प्रदूषण छोटे बच्चों के दिमागी विकास पर बुरा असर डालता है. नोएडा के भारद्वाज अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर अभिषेक कुमार कहते हैं, देखिए 400-500 एयक्यूआई वाली हवा 25 से 30 सिगरेट के धुएं के बराबर है. इसका असर हर एज ग्रुप के लोगों पर सामान रुप से पड़ता है. इसलिए कोशिश करें के इस मौसम में घर से बाहर नहीं निकलें. अगर निकलते भी हैं तो मास्क पहनना न भूलें.

'बॉडी को प्रभावित करता है वायु प्रदूषण'

डॉ. गुप्ता का कहना था कि 2015 में डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि करीब 20 प्रतिशत स्ट्रोक के मामले आ रहे हैं. करीब 20 से 25 प्रतिशत हार्ट अटैक हो रहे हैं. उसमें प्रदूषण भी एक वजह है. हम लोग अभी भी एयर पॉल्यूशन को इग्नोर कर रहे हैं. सिर्फ 10 माइक्रोग्राम पीएम 2.5 बढ़ने से ही 10 प्रतिशत स्ट्रोक या हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ जाता है. हाल में AQI 700 से ऊपर जा रहा है. ये हमारी बॉडी को बहुत प्रभावित करता है. घर के अंदर भी प्रदूषण का असर रहता है. जिन लोगों को पहले से रिस्क ज्यादा है, उन्हें अच्छी क्वालिटी की एयर प्यूरीफायर यूज करना चाहिए. घर बंद रखना चाहिए. एयर प्यूरीफायर स्ट्रॉन्ग रखना चाहिए. 

'एन-95 मास्क लगाकर रखें'

डॉ. गुप्ता ने कहा, हमें सतर्क और सजग रहने की जरूरत है. एन-95 मास्क लगाकर रखें. घरों को बिल्कुल बंद होना चाहिए. थोड़ी देर के लिए भी दरवाजा खोलने से प्रदूषण का असर आ जाता है. एयर प्यूरीफायर भी स्ट्रॉन्ग होना चाहिए. कुछ घंटे तक इसका असर रह सकता है. 

'दिल्ली में सांस लेना हो गया दूभर'

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की वजह से लोगों की आंखों जलन, सीने में जलन, गले में खरास की शिकायतें आ रही हैं. जहरीली धुंध के कारण लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है. सड़कों पर टैंकरों के जरिये पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि धूल नीचे बैठे और एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में सुधार आ सके लेकिन ये इंतजाम कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. दिल्ली का औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार बना हुआ है.