नईदिल्ली
यूनिटेक ग्रुप (Unitech Group) के 29,800 खरीदारों को दिवाली से ऐन पहले बड़ी खुशखबरी मिली है. सालों से अपने आशियाने का इंतजार कर रहे इन हजारों बायर्स के फंसे फ्लैट्स मिलने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यूनिटेक लिमिटेड के नए मैनेजमेंट को मंजूरी दे दी है. रिटायर्ट सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस एएम सप्रे की सिफारिशों के बाद 49 कॉन्ट्रैक्ट देने और कंस्ट्रक्शन शुरू करने पर मुहर लगाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक प्रबंधन को सप्रे की सिफारिशों को मंजूरी देने के साथ ही आगे के कॉन्ट्रैक्ट देने की भी अनुमति दे दी है. कोर्ट ने फ्लैट्स की बिक्री में नए मैनेजमेंट की मदद के लिए सप्रे को नियुक्त किया था.
रिफंड का विकल्प पजेशन में बदलने का मौका!
सुप्रीम कोर्ट ने पहले रिफंड का विकल्प चुनने वाले घर खरीदारों को अपना ये फैसला बदलने का एक मौका भी दिया है. ऐसे घर खरीदार जो पहले रिफंड का विकल्प ले चुके हैं वो अब फिर से पजेशन का विकल्प ले सकते हैं. ऐसे ग्राहकों को ईमेल भेजकर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके साथ ही आंशिक रिफंड हासिल कर चुके यूनिटेक के होम बायर्स भी अपना विकल्प बदलवा सकते हैं. इसके लिए उन्हें रिफंड राशि का पूरा भुगतान करने के बाद विकल्प बदलने की अनुमति मिल जाएगी.
घर खरीदारों को समय पर भुगतान करने के निर्देश
कोर्ट ने घर खरीदारों को अपनी बकाया राशि का समय पर भुगताने करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि रिवाइज्ड प्लान के मुताबिक वो अपने बकाया का भुगतान करते चलें, जिससे कंस्ट्रक्शन के लिए जरूरी रकम का इंतजाम करने में समस्या ना आए और फंड्स की कमी की वजह से निर्माण को रोकना ना पड़े. नए प्रबंधन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से कहा कि मामले में कुछ सकारात्मक परिणाम के लिए उसे ये आदेश पारित करने की जरूरत है. उन्होंने अदालत को आगे बताया कि पूर्व जस्टिस सप्रे ने ये सुनिश्चित करने के लिए काफी प्रयास किए हैं कि ये कॉन्ट्रैक्ट सही हों. मंजूरी के मुद्दे पर अदालत ने वेंकटरमण और नोएडा के वकीलों को चर्चा करने और आम सहमति बनाने का निर्देश भी दिया.
सरकार के हाथ में दी गई यूनिटेक की कमान
अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक लिमिटेड के लिए सरकार के नियुक्त निदेशक मंडल के सदस्य के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक उमा शंकर के नाम को मंजूरी दे दी है. मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के आरोपों के बीच 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यूनिटेक का प्रबंधन अपने हाथ में लेने की इजाजत दे दी थी. यूनिटेक ग्रुप और उसकी सहायक कंपनियों पर ऑडिट फर्म ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट में कहा गया था कि घर खरीदारों के हजारों करोड़ रुपये का पैसा निर्माण के अलावा दूसरे कार्यों के लिए लगाया गया था और कुछ रकम साइप्रस जैसे ऑफशोर टैक्स हेवन में पार्क की गई थी.
फोरेंसिक ऑडिट में यूनिटेक पर गंभीर आरोप लगे
गौरतलब है कि फोरेंसिक ऑडिटरों ने भी अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि यूनिटेक लिमिटेड को 2006-2014 के बीच 29,800 घर खरीदारों से लगभग 14,270 करोड़ रुपये और 74 प्रोजेक्ट्स के निर्माण के लिए 6 वित्तीय संस्थानों से लगभग 1,805 करोड़ रुपये हासिल हुए थे. रियल्टी फर्म को घर खरीदारों के पैसे की कथित हेराफेरी से जुड़े एक मामले में अदालत के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. ये मामला 2015 में गुरुग्राम में स्थित यूनिटेक परियोजनाओं 'वाइल्ड फ्लावर कंट्री' और 'एंथिया प्रोजेक्ट' के 158 घर खरीदारों के द्वारा दर्ज कराए गए एक आपराधिक मामले से संबंधित है.