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3 अद्भुत योगों में मनेगी अहोई अष्टमी, पूजन के लिए मिलेगा सिर्फ इतना समय

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अहोई अष्टमी का व्रत बच्चों की तरक्की और दीर्घायु के लिए रखा जाता है। अपने बच्चों की रक्षा और तरक्की के लिए माताएं रखती हैं। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान के लिए सुबह से उपवास रखती हैं और शाम को ही अपना उपवास खोलती हैं। कई महिलाएं तारा को देखकर अपने व्रत का पारण करती हैं जबकि कुछ महिलाएं चांद देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं। आइए जानते हैं इस बार कब रखा जाएगा अहोई अष्टमी का व्रत।

अहोई अष्टमी व्रत मुहूर्त और तारीख

अहोई अष्टमी 2023 का व्रत 5 नवंबर रविवार के दिन रखा जाएगा। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 4 तारीख मध्य रात्रि 1 बजे से अष्टमी तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 5 नवंबर देर रात 3 बजकर 19 मिनट पर होगी। उदया तिथि में अष्टमी तिथि 5 नवंबर रविवार के दिन है तो इस दिन ही अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। साथ ही इस दिन रवि पुष्य योग का शुभ संयोग भी बन रहा है। बता दें कि इस योग में रखे गए व्रत का दोगुना फल मिलता है।

अहोई अष्टमी पूजा विधि

  • इस दिन व्रत रखने वालों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। साथ ही साफ कपड़े धारण करें।
  • इसके बाद घर की एक दीवार को अच्छे से साफ करें और इसपर अहोई माता की तस्वीर बनाएं। इस तस्वीर को बनाने के लिए मिट्टी या सिंदूर का उपयोग करें।
  • इसके बाद घी का दीपक अहोई माता की तस्वीर के सामने जलाएं। इसके बाद पकवान जैसे हलवा, पूरी, मिठाई, आदि को भोग अहोई माता को लगाएं।
  • इसके बाद अहोई माता की कथा पढ़ें और उनके मंत्रों का जप करते हुए उनसे प्रार्थना करें की अहोई माता आपके बच्चों की हमेशा रक्षा करें।
  • शाम के समय तारों या चांद जैसी आपके यहां मान्यता हो उसे जल देने के बाद ही व्रत पूरा माना जाता है। जल देने के बाद आप व्रत का पारण कर सकती हैं।

क्यों अहोई अष्टमी पर पहनाई जाती है चांदी की अहोई

अहोई अष्टमी पर चांदी की अहोई धारण की जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि, चांदी की अहोई देवी या दिव्य उपस्थिति और शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।

इस माला में चांदी के मोती होते हैं, जिसमें धागे में पिरोकर महिलाएं अपने गले में धारण करती हैं। हमारे धर्म में चांदी को एक शुभ धातु माना जाता है। कहते हैं चांदी की अहोई पहनने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

अहोई अष्टमी पर चांदी की अहोई पहनने की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है।