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मिडिल ईस्‍ट का ‘दादा’ होगा कतर! 43 साल के कतरी शेख ने खेल दी है बड़ी बाजी

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दोहा

 इजरायल-हमास के बीच जंग जारी है और गाजा पर राज करने वाले इस संगठन ने 200 लोगों को बंधक बनाकर रखा है। इस बंधक संकट के बीच अगर कोई कड़ी है तो वह है कतर। कतर इस समय मिडिल ईस्‍ट का एक ऐसा 'चौधरी' बना हुआ है जिसकी पंचायत में ही सारे विवाद सुलझने की उम्‍मीद नजर आ रही है। बंधक संकट में जिस व्‍यक्ति के हाथ मे डोर है, वह न तो इजरायली है और न ही फिलिस्‍तीनी, बल्कि वह कतर के शासक हैं। 10 साल पहले जब कतर के 43 साल के शासक शेख तमीम बिन हमाद अल थानी ने राजशाही संभाली थी तो किसी को भी अंदाजा नहीं था कि एक दशक के बाद वह एक मजबूत नेता बन जाएंगे। आज उनका कद इतना बढ़ चुका है कि वह अब इस संकट को हल करने की दिशा में बड़ी उम्‍मीद बन चुके हैं।

पूरी होगी हर ख्‍वाहिश!
कतर के शासक शेख तमीम बिन हमाद अल थानी दुनिया के सबसे अमीर शख्‍स हैं। वह उस देश पर राज कर रहे हैं जिसके पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा गैस भंडार है। ऐसे में साफतौर पर वह भू-राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी बन चुके हैं। शासन संभालने के बाद से वह कई ऐसे मुकाम को हासिल करने से चूक गए जिनके बारे में उन्‍होंने कभी सोचा था। फुटबॉल का वर्ल्‍ड कप होस्‍ट करने के बाद और यूरोपियन देशों को रूसी गैस सप्‍लाई में कटौती करने के बावजूद उनका रुतबा नहीं बढ़ सका था। ऐसे में इजरायल-हमास की जंग उनके लिए वह सुनहरा मौका है जो कतर को वह मुकाम दिला सकता है, जिसकी कल्‍पना शेख हमाद करते आए हैं। फॉरेन पॉलिसी मैगजीन में आंचल वोरा लिखती हैं कि इजरायल-हमास की जंग में एक पक्ष ऐसा है जो हमेशा से कतर का अहसानमंद रहा है।

एमबीएस से आगे होंगे थानी
शेख थानी के पास इतनी ताकत है कि वह 200 लोगों को बिना खरोंच के हमास के चंगुल से रिहा करवा सकते हैं। इसमें भी किसी को कोई शक नहीं है कि थानी की सहानुभूति फिलिस्तीनियों के साथ है। उनके विदेश मंत्रालय ने हमास के हमले के लिए पूरी तरह से इजरायल को दोषी ठहराया है। साथ ही एक बार भी क्रूरता की निंदा नहीं की है। फिर भी हमास पर कतर का दबाव कई बंधकों से मिलने के लिए बेताब परिवारों के लिए उम्‍मीद की एकमात्र किरण है। हमास अपने नेताओं को शरण देने, अपने ईरानी मददगारों के साथ योजना बनाने और बातचीत करने के लिए आधार प्रदान करने के लिए कतर का आभारी है। उसे कतर की तरफ से लाखों डॉलर की विदेशी मदद भी मिलती है।

क्‍यों फेल हो गया सऊदी अरब
विशेषज्ञ मानते हैं कि सऊदी अरब ने अपनी ओर से फिलिस्तीनियों के साथ मध्यस्थ के रूप में विश्वसनीयता गंवा दी है। उसने साफतौर पर इस युद्ध से पहले अपनी अधिकांश राजनयिक ऊर्जा इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने में लगा दी थी। कतर को मिस्र से संभावित मध्यस्थ के रूप में सबसे कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। मिस्र और कतर इस क्षेत्र में राजनयिक प्रभाव को लेकर लंबे समय से झगड़ रहे हैं। अब तक कतर हमास को चार बंदियों को रिहा करने के लिए मनाने में कामयाब रहा है।

कतर बनेगा दादा
ज्‍यादातर अरब ईरान का तिरस्कार करते हैं। इसके अलावा जिन लोगों ने साल 2020 में इजरायल के साथ अब्राहम समझौते पर साइन किए हैं, उन्होंने खुद को मध्यस्थ के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया है। हालांकि, कतर, विशाल धन-संपदा वाला एक छोटा सा देश है, उसने धीरे-धीरे खुद को उस स्थिति में ढाल लिया है जहां वह फिलिस्तीनियों के फायदे को ध्यान में रखते हुए इजरायल से बात कर सकता है। शेख थानी के पास मौका है कि वह बंधकों को बचा सकते है और बदले में इजरायलियों को युद्धविराम के लिए राजी कर सकते हैं।