रायपुर
राजयोग ऐसी साधना है जो हमारी सोच को सकारात्मक दिशा प्रदान करता है। एक सर्वेक्षण के अनुसार मनुष्य के मन में सारे दिन में पच्चीस हजार से लेकर तीस हजार तक विचार पैदा होते हैं। इन विचारों का हमारे शरीर पर बहुत सूक्ष्म और गहरा प्रभाव पड़ता है। आप कैसे दिखते हैं यह महत्वपूर्ण नही है, लेकिन आप कैसा सोचते हैं यह अधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह विचार ही हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।
यह विचार ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर देखने के लिए आए शंकराचार्य इन्जीनियरिंग कालेज के बच्चों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। राजयोग- जीवन जीने का सर्वश्रेष्ठ तरीका विषय पर बोलते हुए उन्होंने आगे कहा कि विद्यार्थी जीवन वह स्वर्णिम काल होता है जबकि हम अपने भविष्य को संवार सकते हैं। इस बहुमूल्य समय को मोबाईल, इन्टरनेट और सोशल मीडिया में व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। बहुत ज्यादा इन बातों में व्यस्त रहने से हमारी एकाग्रता पर भी असर होता है। इलेक्ट्रानिक्स गेजेट्स का उपयोग सीमित होना चाहिए।
उन्होंने विद्याथियों को मोटिवेट करते हुए कहा कि आप सभी देश के उज्जवल भविष्य हो। सिर्फ आपके माता-पिता को ही नहीं बल्कि देश को भी आपसे बहुत अपेक्षाएं हैं। यह विद्यार्थी जीवन फिर से लौटकर नहीं आने वाला है। इसलिए अपने समय का सदुपयोग कर अपने भविष्य को संवारने के कार्य में लग जाना चाहिए। आपका भविष्य आपके हाथों में है। आप जैसा चाहो वैसा बन सकते हो। आपका लक्ष्य उॅँचा होना चाहिए। मोबाईल, टेलीविजन, सोशल मीडिया आदि क्षणिक आकर्षण की चीजें हैं। आगे चलकर जीवन में यह चीजें काम नहीं आने वाली हैं।
उन्होंने बताया कि कई बच्चे सहनशीलता की कमी होने से असफलता से निराश होकर जीवघात कर लेते हैं। आध्यात्मिकता के अभाव में उनके अन्दर परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति नहीं होती है। इसी प्रकार कई युवक फैशन के चलते या फिर संगदोष में आकर नशा करने लग जाते हैं। इसलिए हमेशा अच्छे लोगों को दोस्त बनाओ और आध्यात्मिकता को जीवन में अपनाओ। राजयोग मेडिटेशन सीखो तो एकाग्रता बढ़ जाएगी और परीक्षा में अच्छे नम्बर आएंगे। कार्यक्रम मे डेढ़ सौ की संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।