सूरत
सरकार के बिना सहयोग सूरत के डायमंड कारोबारियों ने तकरीबन 3400 करोड़ रुपये के खर्चे से दुनिया का सबसे बड़ा डायमंड बिजनेस हब तैयार किया है. सूरत डायमंड बुर्स (Surat Diamond Bourse) के नाम से बने इस डायमंड हब को दुनिया की सबसे बड़ी बिल्डिंग का खिताब भी हासिल हो चुका है, जो खिताब अब तक पेंटागन बिल्डिंग के पास था. सूरत में बने सूरत डायमंड बुर्स की वजह से मुंबई और महाराष्ट्र सरकार को टैक्स के रूप में बड़ा झटका लगने वाला है, क्योंकि मुंबई में बसे गुजराती डायमंड कारोबारियों ने अपना व्यापार समेट कर सूरत की ओर पलायन शुरू कर दिया है.
वर्षों से सूरत शहर को डायमंड सिटी कहा जाता है. सूरत सिटी की डायमंड फैक्ट्रियों में तराशे गए डायमंड देश और दुनिया के अलग-अलग देश में निर्यात किए जाते हैं. लाखों लोगों को यह डायमंड बिजनेस रोजगार मुहैया कराता है. सूरत की डायमंड फैक्ट्रियों में तराशे गए डायमंड दुनिया के अलग-अलग देशों में भेजने के लिए मुंबई का सहारा लिया जाता रहा है. मुंबई में इंटरनेशनल एयरपोर्ट होने की वजह से सूरत के डायमंड कारोबारियों को मुंबई में अपनी एक अलग ऑफिस लेना पड़ा था. जिसके जरिए सूरत में तराशे गए डायमंड मुंबई से दुनिया के अलग-अलग देश में एक्सपोर्ट किए जाते थे.
इस बिल्डिंग में सभी सुविधाएं मौजूद
अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि गुजरात के सूरत में बने दुनिया की सबसे बड़ी डायमंड हब बिल्डिंग सूरत डायमंड बुर्स में वह सब सुविधाएं मौजूद हैं, जिनकी सूरत के डायमंड कारोबारियों को जरूरत थी. यही वजह है कि अब मुंबई के जरिए दुनिया में डायमंड कारोबार करने वाले सूरत के डायमंड कारोबारी मुंबई से अपना डायमंड कारोबार समेटकर सूरत में पलायन कर रहे हैं.
सूरत डायमंड एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और सूरत डायमंड बुर्स के कमेटी सदस्य दिनेश भाई नावडिया ने बताया कि सरकार द्वारा सूरत के खजोद इलाके में घोषित किए गए ड्रीम सिटी प्रोजेक्ट की 67 लाख वर्ग फुट की जमीन पर 14-14 मंजिला के 9 टावर तैयार किए गए हैं. इन टावर में अलग-अलग डायमंड कंपनियों की 4300 ऑफिस हैं. इन ऑफिस को बिल्डिंग्स तैयार होने से पहले ही डायमंड कारोबारियों द्वारा खरीद लिया गया था. तकरीबन 3400 करोड़ रुपये की लागत से इस सूरत डायमंड बुर्स को तैयार किया गया है. सरकार के पास से मार्केट वैल्यू से भी ज्यादा कीमत चुकाकर डायमंड कारोबारियों ने यहां जमीन खरीदी थी, ताकि सूरत और मुंबई के डायमंड कारोबारियों को एक छत के नीचे लाया जा सके.
मुंबई को छोड़ सूरत शिफ्ट हो रहे हैं कारोबारी
दिनेश भाई ने कहा कि अभी तक दुनिया के अलग-अलग देश में डायमंड भेजने के लिए सूरत के कारोबारियों को मुंबई में अपना अलग से ऑफिस स्टाफ रखना पड़ता था, ऑफिस खोलना पड़ता था और इंटरनेशनल एयरपोर्ट होने के चलते मुंबई से ही कारोबार करना पड़ता था. लेकिन अब सूरत डायमंड बुर्स में वह सारी सुविधाएं हैं, जो डायमंड कारोबारी को चाहिए. दुनिया का सबसे बड़ा कस्टम हाउस बनकर तैयार हो चुका है. सूरत एयरपोर्ट से अब इंटरनेशनल फ्लाइट्स भी शुरू हो जाएंगे, जिससे अब सूरत के डायमंड कारोबारी मुंबई के बजाय सूरत से ही अपने डायमंड कारोबार को दुनियाभर में कर सकेंगे.
दिनेश भाई ने बताया कि सूरत डायमंड बुर्स के शुरू होने से सूरत के रियल स्टेट को भी बहुत बड़ा फायदा हुआ है, क्योंकि जो भी लोग मुंबई से शिफ्ट कर रहे हैं, उन्हें एक नए मकान की जरूरत होती है, इसलिए लोग अपने मकान खरीद रहे हैं. इसके अलावा स्कूल कॉलेज में भी स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ रही है. शॉपिंग मॉल में खरीदारों की संख्या बढ़ रही है. सूरत डायमंड बुर्स शुरू होने से सूरत के हर क्षेत्र के लोगों को फायदा मिलेगा. साथ ही करीब 1 लाख लोगों को एक छत के नीचे रोजगार भी मिलेगा. दिनेश भाई ने बताया कि सूरत डायमंड बुर्स के शुरू होने से मुंबई में डायमंड कारोबार से जुड़े करीब 1000 दफ्तर हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे. इससे मुंबई और महाराष्ट्र सरकार को टैक्स में भी करोड़ों रुपये का घाटा होगा.
सूरत में ही अब कॉरपोरेट ऑफिस भी
मुंबई से अपना कारोबार पूर्ण रूप से समेटने वाले सूरत के बड़े डायमंड कारोबारी वल्लभभाई लखानी किरण डायमंड एक्सपोर्ट के नाम से डायमंड का कारोबार देश और दुनिया में करते हैं. वल्लभभाई लखानी दुनिया के देशों में अपना डायमंड भेजने के लिए मुंबई में पिछले 30 साल से ऑफिस खोल कर रखे थे. उनके ऑफिस में करीबन 2500 लोगों का स्टाफ हुआ करता था. सूरत में इंटरनेशनल एयरपोर्ट ना होने की वजह से सूरत के डायमंड कारोबारियों को अपना डायमंड विदेशों में भेजने के लिए मुंबई के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं था.
किरण (जेम्स ) एक्सपोर्ट के डायरेक्टर वल्लभ लखानी ने बताया कि वो मूलतः भावनगर के रहने वाले हैं. सन 1980 में वह व्यापार के लिए मुंबई में गए थे और वहां पर डायमंड कंपनी की शुरुआत की थी. मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में स्थित भारत डायमंड बुर्स में हेड क्वार्टर था. सन 1997 में उन्होंने सूरत में अपना कारोबार शुरू किया था. किरन जेम्स करीबन 17.000 करोड़ रुपये का एनुअल टर्न ओवर है, जबकि अन्य ज्वेलरी कंपनी भी है, जिसका करीबन तीन हजार करोड़ रुपये का टर्न ओवर है. कुल मिलाकर उनकी कंपनियों का 3000 करोड़ का टर्न ओवर है.
धड़ाधड़ सूरत लौट रहे कारोबारी
वल्लभ भाई लखानी ने कहा कि उन्होंने मुंबई से अपना कारोबार पूर्ण रूप से समेट कर सूरत में शिफ्ट कर दिया है. उन्होंने अपने ऑफिस स्टाफ के रहने के लिए अलग-अलग बिल्डिंग्स में फिलहाल 1200 फ्लैट का निर्माण कर दिया है. सूरत डायमंड बुर्स के विधिवत रूप मे शुरू होते ही उनका स्टाफ कंपनी द्वारा बनाए गए घरों में रहना शुरू कर देगा. स्टाफ के लिए बनाए गए घरों में सभी घरलू समान उपलब्ध करवा दिया गया है. मुंबई की ऑफिस में सिर्फ 100 कर्मचारी गुजराती है, बाकी महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों के कर्मचारी हैं जिनमें से अधिकतर कर्मचारियों ने सूरत आने की सहमति दे दी है.