नई दिल्ली
आने वाली 2 नवंबर की तारीख अहम होने वाली है। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पहली बार ऐसा होगा कि दोनों तरफ के पंजाब के ऐक्टिविस्ट साथ मिलकर अपनी संस्कृति का उत्सव मनाएंगे। यह एक अलग तरह की पहल की गई है। दोनों देशों के पीस ऐक्टिविस्ट एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। इसमें पांचों नदियों को जल को भी शामिल किया जाएगा। बता दें कि पूर्वी पंजाब यानी जो हिस्सा भारत में है वहां सतलुज और ब्यास नहीं बहती है। वहीं झेलम, चिनाब और रावी पाकिस्तान की ओर है।
लाहौर में इन पांचों नदियों का सांकेतिक संगम कराया जाएगा। जीवय सांझा पंजाब के ऐक्टिविस्ट तरुनजीत सिंह बुटालिया ने सतलुज और ब्यास के जल का सैंपल लिया है। वह लाहौर यह जल लेकर जाएंगे। वहीं पाकिस्तान के ऐक्टिविस्ट झेलम, चिनाब और रावी का जल लेकर पहुंचेंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक बुटालिया ने कहा, मैंने रोपड़ से सतलुज और ब्यास का जल ले लिया है। उन्होंने कहा कि 2 नवंबर का दिन दोनों पंजाबों के लिए ऐतिहासिक होने वाला है। एक बार फिर सांझा पंजाब जीवित होगा और पांचों नदियों का संगम कराया जाएगा। बता दें कि जीवय सांझा पंजाब और रावी बचाओ तहरीक की तरफ से मिलकर यह आयोजन किया जा रहा है। ये दोनों ही संगठन शांति और पंजाब की नदियों को बचाने के लिए काम करते हैं।
2 नवंबर को पांचों नदियों के जल को ऊंचा बुर्ज लाहौर दा पर ले जाया जाएगा। यहां सूपी कवि दरबार माधो लाल हुसैन के जन्म शताब्दी पर यह आयोजन किया जा रहा है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि बंटवारे के बाद पांचों नदियों के जल को मिलाया जाएगा। इसके अलावा यहां कविताओं को महफिल भी सजेगी।