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बिहार में बीपीएससी शिक्षक भर्ती घोटाला? सड़क पर अभ्यर्थी, नीतीश सरकार पर बरसा विपक्ष

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पटना
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 1.70 लाख पदों के लिए हुई शिक्षक बहाली परीक्षा में गड़बड़ी और घोटाले के आरोप लगने से सियासी पारा गर्मा गया है। इस परीक्षा में असफल रहे अभ्यर्थियों ने पटना में आयोग के दफ्तर के बाहर डेरा डाल दिया है। साथ ही सोशल मीडिया पर नीतीश सरकार और बीपीएससी के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है। दूसरी ओर, विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने शिक्षक बहाली परीक्षा में धांधली की जांच की मांग की है। पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने आरोप लगाए कि इस परीक्षा में नीतीश सरकार द्वारा पैसे लेकर नौकरियां बांटी गई है।

पिछले हफ्ते जारी हुए बीपीएससी शिक्षक बहाली के रिजल्ट के बाद से ही अभ्यर्थियों ने आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पटना में बीपीएससी के दफ्तर के बाहर राज्यभर से आए अभ्यर्थी रोजाना प्रदर्शन कर रहे हैं। अब उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाने का भी फैसला लिया है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि इस सरकार और आयोग की ओर से इस परीक्षा में गलत तरीके से नौकरियां दी गई हैं और इससे घोटाले की बू आ रही है। दूसरी ओर, विपक्ष ने इस मुद्दे को लपक लिया है और नीतीश सरकार से कथित घोटाले की जांच की उच्चस्तरीय जांच की मांग भी कर दी है। हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने मंगलवार को आरोप लगाए कि शिक्षक बहाली में लैंड फॉर जॉब की तर्ज पर घोटाला हुआ है। नीतीश सरकार ने पैसे देकर शिक्षक की नौकरियां बांटी है। इसकी बड़े स्तर पर जांच होनी चाहिए।

जल्द बड़ा खुलासा होगा, बीजेपी के विजय सिन्हा का दावा
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बुधवार को कहा कि जल्द ही वे इस मुद्दे पर बड़ा खुलासा करेंगे। वे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे। शिक्षक बहाली में कई तरह की अनियमितताएं की गई हैं। इस पर इतने सवाल उठ रहे हैं, इसके बावजूद सरकार अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने में जुटी है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया इस बात को दर्शाती है कि किस तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी कमजोर होती याददाश्त और बढ़ती उम्र के कारण सारा नियंत्रण और क्षमता खो चुके हैं। हम नहीं जानते कि वास्तव में कितने नए उम्मीदवारों को नौकरी मिलेगी। यह एक घोटाला है। यहां तक कि सीधी-सादी भर्ती प्रक्रिया भी हंसी का पात्र बनकर रह गई है, क्योंकि इसका इरादा कभी नेक था ही नहीं। सम्राट चौधरी ने कहा कि केवल संख्या बढ़ाने के लिए परीक्षा लेने और सालों से काम कर रहे शिक्षकों को दोबारा नियुक्ति पत्र जारी करने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन वही हो रहा है। भर्ती प्रक्रिया की पूरी कवायद अवैध है। नए उम्मीदवार कहां हैं और कितने हैं? इसकी जानकारी ही नहीं है।
 
दूसरी ओर, बीपीएससी ने शिक्षक बहाली में किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार कर दिया है। आयोग फिलहाल दो नवंबर को पटना के गांधी मैदान में होने वाले आयोजन की तैयारी में व्यस्त है। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटेंगे। इस समारोह में कुल 25 हजार अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए जाएंगे। बता दें कि बिहार में शिक्षकों के 1.70 लाख पदों पर बीपीएससी ने भर्ती निकाली थी। इसके लिए आयोजित परीक्षा में 1.22 लाख अभ्यर्थी ही सफल हो सके। इस कारण करीब 48 हजार सीटें खाली रह गईं। खाली पदों की संख्या और भी बढ़ सकते हैं, क्योंकि इस परीक्षा में सफल हुए करीब 45 हजार नियोजित शिक्षक हैं, जो पहले से नौकरी कर रहे हैं। इसके अलावा, नाम की गलत स्पेलिंग या गलत आधार नंबर जैसी गड़बड़ियों के कारण बड़ी संख्या में उम्मीदवार संदेह के घेरे में हैं। बीपीएससी भी शायद इसे लेकर आश्वस्त नहीं है और पूरी जांच के बिना ही अभ्यर्थियों के नाम नियुक्ति पत्र के लिए भेज दिए गए थे। इसे लेकर आयोग का शिक्षा विभाग के साथ भी टकराव हुआ था।

अदालत में जाएगा शिक्षक बहाली का मामला?
बीपीएससी से संतुष्ट जवाब नहीं मिलने के बाद शिक्षक अभ्यर्थियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है। पटना हाईकोर्ट के वकील शिवनंदन सिंह का कहना है कि बड़ी संख्या में शिक्षक अभ्यर्थी उनके पास आए हैं और इस मामले में वे रिट दायर करने की योजना बना रहे हैं। प्रथम दृष्टया यह अनियमितता का मामला लग रहा है। ऐसा लगता है कि मानदंडों को पूरा करने के बावजूद उच्च योग्यता वाले उम्मीदवारों को छोड़ दिया गया है। बाहरी राज्य के कई उम्मीदवार भी माध्यमिक स्तर तक पहुंच गए हैं, जबकि अन्य विसंगतियों भी हैं। बता दें कि शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा नौकरी हासिल करने के लिए जाली दस्तावेजों का उपयोग काफी पहले ही सामने आ गया था, जब उत्तर प्रदेश के एक अभ्यर्थी को आरक्षण का लाभ उठाने के लिए बगहा में अपने आवासीय और जाति प्रमाण पत्र बनवाते हुए पाया गया था। यह केवल बिहार के अभ्यर्थी ही कर सकते हैं, जो इसके हकदार हैं, अन्य राज्यों के लोग नहीं।

साथ ही डोमिसाइल नीति हटाने के वक्त नीतीश सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि दूसरे राज्यों के सभी उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। बिहार आरक्षण फॉर्मूला लागू होगा केवल राज्य के उम्मीदवारों के लिए लागू होगा। यदि नई शिक्षक बाहली कानूनी संकट में फंसती है, तो यह सरकार के लिए एक बड़ी निराशा होगी। क्योंकि पटना हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से की गई शिक्षकों की नियुक्तियों के मुद्दा सात साल से सुलझ नहीं पाया है। शिक्षकों के दस्तावेजों वाले 77000 से अधिक फोल्डर का पता नहीं चल सका है।