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जब दमोह की चार में से तीन विधानसभा में निर्दलीय जीते, बड़े नेताओं के बिगड़े थे समीकरण

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दमोह

दमोह जिले में चार विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें से तीन विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज कर पूरे समीकरण ही बदल दिए। केवल जबेरा विधानसभा से कभी कोई निर्दलीय प्रत्याशी नहीं जीत सका है।

 
बता दें कि वर्ष 1962 से 1972 तक चार निर्दलीय प्रत्याशियों ने अलग-अलग चुनाव में जीत हासिल की। जिले की दमोह, हटा, पथरिया ऐसी विधानसभा हैं, जहां मतदाताओं ने एक से दो बार निर्दलीय को चुनकर राष्ट्रीय दलों को चौंका दिया। जिले की चार विधानसभा में केवल एक विधानसभा में मतदाताओं ने दलीय नेता को अपना विधायक चुना। बता दें कि दमोह जिले की जबेरा विधानसभा ही एक ऐसी विधानसभा है जहां पर आज तक कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता है।

1962 में तीन निर्दलीय जीते
1962 के विधानसभा चुनाव में दमोह जिले की जनता ने मानों राजनीतिक दलों को आईना दिखाने का काम किया। उस समय के चुनाव में एक नहीं बल्कि जिले की चार में से तीन विधानसभाओं में जनता ने निर्दलीय प्रत्याशियों को विधायक बना दिया। दमोह, हटा व पथरिया से निर्दलीय ने चुनाव में जीत हासिल की। इसके बाद दमोह विधानसभा से दूसरी बार भी निर्दलीय प्रत्याशी के जीतने का सिलसिला भी जारी रहा। वर्ष 1962 और 1972 के बाद आज तक कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में विजयी नहीं हुआ है।

1972 से आज तक कोई नहीं जीता
जिले के मतदाता बेबाकी से अपना नेता चुनते आए हैं। 1972 से आज तक चारों विधानसभा में निर्दलीय नहीं जीत सके।

दमोह से दो बार जीते निर्दलीय
जिले की दमोह विधानसभा से वर्ष 1962 में जहां आनंद श्रीवास्तव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 12881 मत प्राप्त कर कांग्रेस के हरिश्चंद्र मरोठी को 3934 मतों से पराजित किया था। मरोठी को 8947 मत प्राप्त हुए थे। जबकि वर्ष 1972 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में फिर आनंद श्रीवास्तव ने 27833 मत प्राप्त कर कांग्रेस के प्रभु नारायण टंडन को 9063 मतों से पराजित किया था। कांग्रेस प्रत्याशी प्रभु नारायण टंडन को 18770 मत प्राप्त हुए थे। इसके बीच वर्ष 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आनंद श्रीवास्तव को कांग्रेस प्रत्याशी प्रभु नारायण टंडन से पराजय का सामना भी करना पड़ा था। आनंद श्रीवास्तव का चुनाव चिन्ह शेर था और उन्हें दमोह की डिक्शनरी भी कहा जाता था, क्योंकि उनकी याददाश्त इतनी तेज थी कि वे लोगों के पिता का नाम पूछकर उसके दादा और परदादा का नाम तक बता दिया करते थे।

पथरिया और हटा ने भी निर्दलीय को चुना
पथरिया विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रामेश्वर प्रसाद ने 7339 मत प्राप्त कर कांग्रेस प्रत्याशी कड़ोरे लाल को 3105 मतों से पराजित किया था। कड़ोरे लाल को 4234 मत प्राप्त हुए थे। इसी प्रकार हटा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जुगल किशोर बजाज ने 7682 मत प्राप्त कर कांग्रेस की इंदिरा भगत को 240 मतों से पराजित किया था। कांग्रेस प्रत्याशी इंदिरा भगत को 7442 मत प्राप्त हुए थे।