सनातन धर्म में सभी पर्व और त्योहारों में से दीपावली का पर्व सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. वैसे तो दीपावली की शुरुआत धनतेरस से ही हो जाती है. सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए दीपावली का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. लोग साल भर से बेसब्री से इस पर्व का इंतजार करते हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दीपावली तो उसके अगले दिन बड़ी दीपावली का पर्व मनाया जाता है.
धार्मिक मान्यता के मुताबिक दीपावली के दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की विधि-विधान पूर्वक पूजा आराधना की जाती है. अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि से दीपावली की शुरुआत होती है. इस साल चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर दोपहर 1:57 से शुरू होकर अगले दिन 12 नवंबर दोपहर 2:44 पर समाप्त होगी. जिसमें दीपावली का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा.
छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली में अंतर
हिंदू पंचांग के मुताबिक हर वर्ष कार्तिक माह के चतुर्दशी तिथि के दिन छोटी दीपावली का पर्व मनाया जाता है और उसके अगले दिन बड़ी दीपावली का पर्व मनाया जाता है. छोटी और बड़ी दीपावली में भी अंतर है. धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक कार्तिक माह के चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नाम के रक्षक का वध किया था. यही वजह है कि कई जगहों पर इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा आराधना करने का भी विधान है.
इस दिन मां लक्ष्मी हुई थीं प्रकट
बड़ी दीपावली को लेकर मान्यता है कि इसी दिन भगवती मां लक्ष्मी प्रकट हुई थी. यही वजह है कि इस दिन माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाकर उनकी विधि-विधान पूर्वक पूजा आराधना की जाती है. इसी कार्तिक माह की तिथि में प्रभु श्री राम ने रावण का वध कर वनवास से अयोध्या पहुंचे थे. जहां अयोध्या वासियों ने चारों तरफ दीप माला जला कर उनका स्वागत किया था.