मऊ
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जहां 2005 में मऊ जिले में हुए दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म के 14 आरोपियों को लखनऊ की CBI कोर्ट ने बरी कर दिया है। एक आरोपी का मामला बाल न्यायालय में चल रहा है। अदालत को आरोपियों के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिले। मामले में वकील त्रिवेणी प्रसाद सर्राफ भी आरोपी थे। उन्होंने बताया कि गांव के लोगों ने भी गवाही दी थी कि वे लोग निर्दोष हैं।
साल 2010 में इस केस में CBI ने दाखिल की थी चार्जशीट
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2010 में इस केस में CBI ने चार्जशीट दाखिल की थी। आरोपियों ने लगभग डेढ़ साल जेल में भी काटे थे। 14 अक्टूबर, 2005 को मऊ में सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था। महिला और उसकी बेटी ने एक किशोर समेत 15 लोगों के विरुद्ध सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था।महिला ने घटना के एक महीने बाद पुलिस को दिए शिकायती पत्र में कहा था कि दंगे से बचने के लिए 15 अक्टूबर, 2005 को वह परिवार के साथ अलीनगर नवपुरवा सलाहाबाद मोड़ आ गई थी। वहां पर उसके और उसकी बेटी के साथ 15 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म जैसी घिनौनी वारदात को अंजाम दिया था।
घटना के डेढ़ महीने बाद किशोरी व उसकी मां का कराया गया मेडिकल परीक्षण
आपको बता दें कि घटना के डेढ़ महीने बाद किशोरी व उसकी मां का मेडिकल परीक्षण कराया गया। जिन लोगों पर आरोप लगाए गए थे, उनमें से कुछ की उम्र 70 वर्ष से भी अधिक थी। आरोपियों के वकील अक्षय कुमार सिंह ने बताया कि कथित सामूहिक दुष्कर्म के मुकदमे में CBI कोर्ट ने 14 आरोपियों को बरी कर दिया है। आरोप राजनीति से प्रेरित थे और CBI की चार्जशीट पर भी सवाल खड़े हुए थे।