नईदिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कथित गो रक्षकों की दादागीरी और मुसलमानों के साथ मार-पीट के मामले में फिर से कड़ा रुख अपनाते हुए सभी राज्यों को नोटिस भेजा है। राजनीतिक दल कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) की महिला शाखा नैशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन विमेन (NFIW) ने सुप्रीम कोर्ट से शिकायत की है कि पांच साल पहले दिए गए उसके फैसले के बावजूद देश में गो रक्षकों की दंबंगई बढ़ रही है और मुसलमान पीटे जा रहे हैं। इसी शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी प्रदेशों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
गो रक्षक समहूों की हिंसा बढ़ने का दावा
सुप्रीम कोर्ट ने सीपीआई की महिला शाखा के नए दावों पर सभी राज्यों से जवाब मांगा कि देशभर में गो रक्षक समूहों के हेट क्राइम और मुसलमानों की कथित हत्याएं बढ़ रही हैं, भले ही सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने पहले इस मुद्दे पर अपनी जनहित याचिका पर संज्ञान लिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल नैशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन की तरफ से पेश हुए।
मुसलमानों को पीटा जा रहा है: सिब्बल
उन्होंने जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस पीके मिश्रा की पीठ को बताया कि 'मांस और पशुओं को ले जाने वाले लोगों' को सतर्कता समूहों (विजिलैंट ग्रुप्स) द्वारा पीटा जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि पुलिस भी घायल व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करती है, जिससे वही आरोपी भी बन जाते हैं।
दावा- 2018 के फैसले के बावजूद हो रही हिंसा
28 जुलाई को जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और छह राज्यों- महाराष्ट्र, ओडिशा, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश से जनहित याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें दावा किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले के बावजूद मुसलमानों के खिलाफ हत्याओं के मामलों में 'खतरनाक वृद्धि' हुई है। इसमें राज्यों को हेट क्राइम्स के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था।