गौतमबुद्ध नगर.
निठारी कांड में मासूम बच्चों और किशोरियों की जिस तरह की दरिंदगी (यौन शोषण, अंग काटना और प्रताड़ना) का जिक्र सीबीआई की जांच में हुआ, ऐसी ही हैवानियत डार्क वेब की रेडरूम साइट पर लाइव दिखाई जा रही हैं।
इंटरनेट के अंडरवर्ल्ड कहे जाने वाले डार्कवेब पर बिटकॉइन के जरिये न केवल हथियार, मादक पदार्थ और अश्लील वीडियो की बिक्री हो रही बल्कि बोली लगाकर हैवानियत का खेल खेला जा रहा है।
मोबाइल-इंटरनेट की लत, एडवेंचर और कुछ नया हासिल करने की चाहत युवाओं और किशोरों को अंधकार में धकेल रही है। डार्क वेब के जरिये गौतमबुद्ध नगर में पहले ही मादक पदार्थ बिक्री और क्रेडिट कार्ड हैक कर फर्जीवाड़े का खुलासा हो चुका है। कोरोना काल वर्ष 2020 में दादरी मेें दसवीं के छात्र दीपांशु चौहान ने खुदकुशी कर ली थी। जान देने से पहले उसने इंस्ट्रग्राम पर भगवान और शैतान की लड़ाई चलने और सबको मरना होगा जैसी बातें लिखी थीं। परिजन का कहना था कि दीपांशु हमेशा मोबाइल में वीडियो देखता रहता था। आशंका जताई गई थी कि दीपांशु डार्क वेब में फंस गया था। डार्क वेब पर रेडरूम के अलावा सिल्क रोड, कैनिबल कैफे, मिस्ट्री बॉक्स नाम की तमाम साइटे हैं, जिन पर अवैध गतिविधियां संचालित हैं। दावा किया जाता है कि डार्क रूम पर रेकी, जासूसी से लेकर सुपारी लेकर हत्या के सौदे भी किये जाते रहे हैं। दुनिया भर के लोगोें के हैक किए गए डेबिट-क्रेडिट कार्ड की डिटेल भी डार्क रूम पर बोली लगाकर बेची जा रही है। किसी व्यक्ति विशेष की निजी वीडियो, लोकेशन व अन्य जानकारियों के अलावा यहां सक्रिय हैकर्स फेसबुक, इंस्टाग्राम हैक करने का भी दावा रुपये लेकर करते हैं।
डार्क वेब पर अपराध करने और कराने वाले अधिक सक्रिय हैं लेकिन दरिंदगी और हैवानियत की वीडियो डार्क वेब पर न केवल लोग देख रहे हैं बल्कि चैटिंग से बोली लगाकर अपने तरीके से हैवानियत कराने की रकम अदा कर रहे हैं। दावा किया जाता है कि ये वीडियो असली हैं। ऐसे वीडियो बच्चों का मानसिक रोगी बना रहे हैं।
महिला का अश्लील वीडियो वायरल होने पर लगा दांपत्य पर ग्रहण
नॉलेज पार्क स्थित पारिवारिक विवाद समाधान केंद्र की को-ओर्डिनेटर व कानूनी विशेषज्ञ डॉ. रितु गौतम ने बताया कि ग्रेटर नोएडा की रहने वाली एक महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उसके ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया था। काउंसलिंग में पता चला कि कोरोना काल में महिला ने इंटरनेट पर सक्रियता बढ़ा ली। वह डार्कवेब में जाकर अश्लील वीडियो बनाकर पैसे कमाने लगी। महिला के वीडियो वायरल हो गए थे। हालांकि काउंसलिंग के बाद पति उसे अपने साथ रखने को तैयार हो गया लेकिन ससुराल वाले नहीं माने।
लीक हो सकती हैं निजी जानकारी
आम लोग इंटरनेट के केवल चार फीसदी का इस्तेमाल करते हैं। शेष 96 फीसदी डीप वेब या डार्क वेब में इस्तेमाल होता है। इसमें वैध व अवैध गतिविधियां शामिल होती हैं। ये ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है, जिससे इसे ट्रैक करना संभव नहीं होता। सर्च इंजन से इसे इंडेक्स नहीं किया जा सकता और इसमें आईपी एड्रेस भी छुपा रहता है। डार्क वेब में चेन सिस्टम से किशोर व युवाओं को जोड़ा जाता है। लेकिन इससे बेहद सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि डार्क वेब पर जाने वालों की निजी जानकारियां लीक हो सकती हैं। बैंक अकाउंट डेबिट-क्रेडिट कार्ड आदि हैक कर लिए जाते हैं। इसके अलावा उनके निजी वीडियो फोटो भी लीक हो जाते हैं। इसके बाद वे ठगी या ब्लैकमेलिंग के शिकार हो सकते हैं।
आईपीएस ने ग्राहक बनकर तस्करी में लिप्त छात्रों को पकड़ा था
तत्कालीन ग्रेटर नोएडा डीसीपी आईपीएस अभिषेक वर्मा ने 18 सितंबर 2022 को डार्क वेब पर ग्राहक बनकर विदेशी ड्रग्स तस्करी में लिप्त तीन छात्रों को गिरफ्तार कर 29 लाख की ड्रग्स बरामद की थी। आरोपी छात्र दिल्ली, हरियाणा से नॉलेज पार्क क्षेत्र के कॉलेज के पास ड्रग्स लेकर पहुंचे थे। इसी वर्ष मई में ग्रेनो में दो ड्रग्स फैक्टरी का पुलिस ने भंडाफोड़ किया। इसमें भी डार्कवेब के जरिये मादक पदार्थ खरीद-फरोख्त की बात सामने आई थी। पिछले साल सूरजपुर पुलिस व साइबर सेल ने डार्क वेब से क्रेडिट कार्ड हैक कर होटल में पार्टी करने वाले आरोपियों को पकड़ा था।
‘थिंक बिफोर क्लिक’ थीम पर चला रहे अभियान : डीसीपी
किशोर, युवा और लोगों को इंटरनेट और साइबर अपराध से बचाने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। फिलहाल ‘थिंक बिफोर क्लिक’ थीम पर जागरूक किया जा रहा है। मोबाइल-इंटरनेट से जुड़े अपराधों से बचाव का सबसे बड़ा उपाय जागरूकता है। अगर हम किसी भी वीडियो, साइट व लिंक पर क्लिक करने से पहले उसके बुरे नतीजे के बारे में जान लेंगे तो इनसे जुड़े अपराध से बचना आसान होगा।
– रामबदन सिंह, डीसीपी साइबर अपराध
हर सप्ताह चेक करें किशोर युवाओं की मोबाइल हिस्ट्री : मनौवैज्ञानिक
उत्सकुता मानव की प्रवृति है। बच्चों, किशोरों में ये प्रवृत्ति अधिक होती है। किसी कार्य को करने से मना करने पर वह उसमें उत्सुक हो जाते हैं। इसलिए अपने बच्चों की सप्ताह में एक बार मोबाइल-इंटरनेट हिस्ट्री चेक करें। संदेह होने पर मनोवैज्ञानिक से परामर्श लें।
-डॉ. आनंद प्रताप सिंह, मनोवैज्ञानिक एवं मानसिक स्वास्थ्य विभागाध्यक्ष, जीबीयू