नईदिल्ली
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 15 अक्टूबर की सामान्य तारीख के चार दिन बाद भारत से पूरी तरह लौट गया है। मॉनसून की वापसी की प्रक्रिया सामान्य तिथि से आठ दिन बाद 25 सितंबर को शुरू हुई थी। आमतौर पर, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून एक जून तक केरल में दस्तक देता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में पहुंच जाता है। उत्तर-पश्चिम भारत से 17 सितंबर के आसपास मॉनसून की वापसी शुरू होती है और 15 अक्टूबर तक यह पूरी तरह लौट जाता है।
आईएमडी ने एक बयान में कहा, ''दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 19 अक्टूबर को देश के बाकी हिस्सों से लौट चुका है।'' बयान में कहा गया है कि दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में पूर्वी/उत्तरपूर्वी हवाएं चलने के साथ अगले तीन दिन में इस क्षेत्र में उत्तर-पूर्वी मॉनसून वर्षा गतिविधि शुरू होने का अनुमान है। हालांकि, सामान्य तौर पर उत्तर-पूर्वी मॉनसून का शुरुआती चरण कमजोर रहने की संभावना है। भारत में अल नीनो की मजबूत स्थिति के बीच चार महीने (जून-सितंबर) के मॉनसून के दौरान लंबी अवधि के औसत (एलपीए) 868.6 मिमी की तुलना में इस बार ''औसत से कम'' 820 मिमी बारिश दर्ज की गई।
आईएमडी ने कहा कि मुख्य रूप से हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) और मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (एमजेओ) जैसे अनुकूल कारकों ने अल नीनो स्थितियों के कारण हुई कुछ कमी की भरपाई की और ''लगभग सामान्य'' वर्षा हुई। वर्ष 2023 से पहले, भारत में लगातार चार वर्षों तक मॉनसून के मौसम में ''सामान्य'' और ''सामान्य से अधिक'' वर्षा दर्ज की गई थी। एलपीए के 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत के बीच वर्षा को सामान्य माना जाता है।
दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर में पानी के गर्म होने से संबंधित अल नीनो परिघटना भारत में कमजोर मॉनसूनी हवाओं और शुष्क परिस्थितियों से जुड़ी हैं। आईओडी को अफ्रीका के पास हिंद महासागर के पश्चिमी हिस्सों और इंडोनेशिया के पास महासागर के पूर्वी हिस्सों के बीच समुद्र की सतह के तापमान में अंतर से परिभाषित किया जाता है। एमजेओ बड़े पैमाने पर वायुमंडलीय विक्षोभ है जो उष्णकटिबंधीय अफ्रीका में उत्पन्न होता है और पूर्व की ओर बढ़ता है। हवा का यह प्रवाह आमतौर पर 30 से 60 दिनों तक का होता है। यह बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में गर्म हवा का प्रवाह बढ़ाने के लिए जाना जाता है।