प्रयागराजT
नोए़डा के निठारी कांड में दोषी पाए गए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरी करते हुए फांसी की सजा रद्द कर दी है। हाई कोर्ट ने सीबीआई और नोएडा पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर अमानवीय तरीके हुई मासूमों की हत्याओं की जांच करने में इतनी गड़बड़ियां क्यों की गईं? कोर्ट ने कहा कि सबूतों को इकट्ठा करने के नियमों को बेशर्मी से तोड़ा गया। बता दें कि सुरेंद्र कोली कौ 12 मामलों में बरी किया गया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों ने जनता का भरोसा तोड़ा है। सैयद आफताब हुसैन रिजवी और जस्टिस अश्वनी मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस तरह के गंभीर मामले में भी जांच एजेंसियां सबूत देने में नाकाम रहीं। इस मामले में गिरफ्तारी का तरीका, सबूतों को इकट्ठा करना और फिर जुर्म कबूल करवाने की प्रक्रिया गलत थी। बता दें कि इस मामले में सुरेंद्र कोली के साथ उसका घरेलू नौकर पंढेर आरोपी था। कोर्ट ने कहा, ऐसा लगता है कि जांच एजेंसियों को एक गरीब नौकर को फंसाना ज्यादा आसान लगता था। अंग तस्करी जैसे गंभीर मामले की जांच बेहद ढिलाई के साथ की गई और पर्याप्त सबूत नहीं इकट्ठा किए गए।
क्या था निठारी कांड
सीबीआई का कहना था कि कोली ने रेप और मर्डर की बात कबूली थी। सीबीआई ने कहा था कि कोली ने यह भी माना कि वह मानव मांस खाता था। बता दें कि 2006 में सामने आए निठारी कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। नोएडा के पास निठारी गांव में मोनिंदर पढेंर के घर पर हत्याएं हुई थीं। कोली और पंढेर पर 31 बच्चों की हत्या के आरोप लगे थे। इसमें 10 लड़कियां भी शामिल थीं। मोनिंदर के घर के पीछे के नाले से 19 नरकंकाल मिले थे। इसके बाद 2006 में कोलीऔर पंढेर को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। 2017 में पिंकी की हत्या और रेप के मामले में कोली औरपंढेर को दोषी ठहराया गया। रिंपा हलदर की हत्या के मामले में कोली को 2015 में फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया था।
जनता के साथ धोखाः हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में एजेंसियों का तर्क बदलता रहा है। महिला और बाल विकास मंत्रालय की कमिटी की सिफारिशों के बावजूद जांच में ढिलाई की गई। यह जनता के साथ धोखा है। हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस और सीबीआई ने पंढेर और कोली को यातनाएं दीं। 60 दिन की रिमांड कके दौरान बिना मेडिकल एग्जामिनेश और कानूनी सहायता उपलब्ध करवाए उनसे जुर्म कबूल करवाया गया। बता दें कि कोली को पांच अलग मामलों में भी फांस की सजा सुनाई गई थी लेकिन दो बार वह बच गया। कोली ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के सामने दया चाचिका भी रखी थी जो कि रिजेक्ट कर दी गई थी। हालांकि बाद में हाई कोर्ट ने उसकी सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।