जरुशलेम.
हमास ने इजरायल पर जब अचानक हमला किया, तो इसी दौरान उन्होंने दक्षिणी इजरायल के एक म्यूजिक कॉन्सर्ट में भी कुछ यहूदियों को अपना निशाना बनाया। उस दौरान वहां पर हजारों यहूदी मौजूद थे, तो उनके बीच एक इजरायली अरब पैरामेडिक भी मौजूद था। उसने वहां फंसे लोगों की जान बचाना ज्यादा जरूरी समझा और वहां से नहीं भागा, जिस कार कुछ देर बाद उसे भी हमास आतंकियों के गोलियों का निशाना बनना पड़ा।
इमरजेंसी सर्विस के लिए तैनात थे अवद दारावेश
दरअसल, अवद दारावशे 23 वर्ष युवा था, वह म्यूजिक कॉन्सर्ट का हिस्सा बनने के लिए नहीं, बल्कि योसी एंबुलेंस के कर्मचारी के तौर पर वहां मौजूद था, जिन्हें इमरजेंसी सर्विस के लिए तैनात किया गया था।
घायल का इलाज करते हुए बने शिकार
7 अक्टूबर के तड़के सुबह ही इजरायल की राजधानी में रॉकेट की चेतावनी देते हुए मिसाइल बजने लगे और आसमान से लगातार रॉकेट गिरने लगे। हर तरफ गोलियों की तड़तड़ाहट होने लगी। उस दौरान कॉन्सर्ट में मस्ती करने वाले लोग अचानक घायल, खून में लथपथ होकर पैरामेडिक्स स्टेशन की ओर दौड़ने लगे, लेकिन जल्द ही अराजकता एकदम बढ़ गई। जैसे ही हमास आतंकियों का हमला तेज हुआ, सभी से पैरामेडिक्स स्टेशन खाली करने को कहा गया, लेकिन दारावशे ने जाने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह कुछ घायलों का इलाज कर रहा था। तभी अचानक एक घायल की मरहम पट्टी करते समय उसे गोली मार दी गई।
आतंकियों और घायलों में समन्वय के लिए रुके थे अवद
कुछ दिनों बाद, उसके शव की पहचान होने के बाद, वहां मौजूद अन्य पैरामेडिक्स ने दारावशे के परिवार को बताया कि उसने रुकने का विकल्प क्यों चुना। दरअसल, दारावशे को लगा कि वह खुद एक अरबी है, तो वह हमास के लोगों और पैरामेडिक्स स्टेशन में फंसे लोगों के बीच समझौता करवाने में सक्षम रहेगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बात करते हुए दारावेश के चचेरे भाई ने कहा, "उसे अपने साथियों से कहा कि वह अरबी जानता है और स्थिति को संभाल लेगा।"
हालांकि, सबका भला सोचने वाले दारावेश के फैसले ने उसके पूरे परिवार को जिंदगी भर न भूल पाने वाली याद दे दी। उनके चचेरे भाई ने कहा, "उसने हमें बहुत दर्द दिया, उसने हमें बहुत पीड़ा दी, उसने हमें बहुत दुःख दिया, लेकिन उन्होंने हमें बहुत गौरव भी दिलाया, क्योंकि उसने आखिरी क्षण तक अपने मिशन पर बने रहने का फैसला किया था।"
अंतिम संस्कार में शामिल हुए हजारों लोग
नाजरेथ से लगभग 5 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में एक छोटे से अरब-बहुल गांव इक्सेल में शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। उस दौरान उनको श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए। दारावशे परिवार पीढ़ियों से इक्सेल में रहता है। वे इजरायल के फलस्तीनी अरब अल्पसंख्यक का हिस्सा हैं, जो आबादी का लगभग 20 प्रतिशत है। यह परिवार फलस्तीनियों के वंशज हैं, जो 1948 में इजरायल के निर्माण के बाद हुए युद्ध के बाद देश में रह गए थे।
अब तक 1300 इजरायलियों की मौत
कब्जे वाले वेस्ट बैंक और गाजा में रहने वाले फलस्तीनियों के विपरीत, वे इजरायल के पूर्ण नागरिक हैं, लेकिन उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उनके और यहूदी इजरायलियों के बीच बार-बार तनाव बढ़ता है। अब तक इस हमले में 1,300 से अधिक इजरायली मारे गए और वहां, 2,300 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं। यह नरसंहार इजरायल के इतिहास का सबसे बड़ा नरसंहार है। दारावशे की मौत की पुष्टि इजरायली विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पोस्ट में की। पोस्ट में कहा गया कि हमास ने न केवल दारावशे को मार डाला, बल्कि उसकी एम्बुलेंस चुरा ली और उसे गाजा ले गए। विदेश मंत्रालय ने दारावशे के बारे में कहा, "एक नायक।"
'उन पर हमें गर्व है'
बता दें कि शहीद दारावेश के चचेरे भाई मोहम्मद दारावशे गिवत हविव के सेंटर फॉर शेयर्ड सोसाइटी में रणनीति के निदेशक हैं। दरअसल, यह संगठन इजरायल के यहूदी और अरब नागरिकों के बीच की दूरी को कम करने के लिए काम करता है। मोहम्मद दारावशे ने कहा, "हमें उनके कार्यों पर बहुत गर्व है। हम उससे यही उम्मीद करते थे और हम अपने परिवार में हर किसी से यही उम्मीद करते हैं कि इंसान बनना, इंसान बने रहना और इंसान ही मरना।"