नई दिल्ली
कंपनियों के चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजों, कच्चे तेल की कीमतों और पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक अनिश्चितता से इस सप्ताह स्थानीय शेयर बाजारों का रुख तय होगा। विश्लेषकों ने यह बात कही है। इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की गतिविधियां भी बाजार को प्रभावित करेंगी।
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘‘इस सप्ताह कई दिग्गज कंपनियों के तिमाही नतीजे आने हैं, जिनका बाजार की दिशा पर काफी असर पड़ेगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की हालिया बिकवाली को देखते हुए उनका रुख भी महत्वपूर्ण होगा।'' अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में लगातार वृद्धि और इजराइल-हमास संघर्ष के चलते बने अनिश्चित माहौल के बीच विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक भारतीय शेयर बाजारों से लगभग 9,800 करोड़ रुपए निकाले हैं। इस उथल-पुथल के बावजूद शेयर बाजार बीते सप्ताह सकारात्मक रुख के साथ बंद हुए, जिसका मुख्य कारण घरेलू समर्थन था। पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 287.11 अंक या 0.43 प्रतिशत चढ़ा।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘पश्चिम एशिया में संघर्ष को लेकर चिंताएं जारी रहने के बावजूद दूसरी तिमाही के नतीजों को लेकर सकारात्मक उम्मीदों और वैश्विक बॉन्ड प्रतिफल में नरमी के चलते भारतीय बाजारों ने वापसी की।'' व्यापक आर्थिक मोर्चे पर नायर ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों में महत्वपूर्ण गिरावट और औद्योगिक उत्पादन जैसे घरेलू कारकों ने आशावाद को बनाए रखने में मदद की। उन्होंने कहा कि हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र के कमजोर आय पूर्वानुमानों और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने बाजार को प्रभावित किया।