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सायरन की आवाज से टूटी नींद, शिविरों में गुजारा वक्त’: भारतीयों की खौफनाक दास्तां

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नई दिल्ली
 घर लौटने की खुशी और बीते कुछ दिनों से आंखों के सामने से गुजरे डरावने मंजर से सहमे करीब 200 भारतीयों का  जत्था एक चार्टर्ड विमान से तड़के यहां दिल्ली पहुंच गया।

वापस लौटे कुछ भारतीयों के कान में अभी भी हवाई हमले से सतर्क करने वाले सायरन, रॉकेट दागने की आवाजें और चीख-पुकार गूंज रही है।

दक्षिणी इजराइल में शनिवार को सुबह हमास द्वारा अचानक किए गए ताबड़तोड़ हमलों से इजराइल दहल उठा था। इजराइल में कम से कम 700 लोगों की मौत और 2100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इजराइल और हमास के बीच इस संघर्ष को पिछले 50 वर्षों में सबसे घातक माना जा रहा है।

इजराइल में 2019 से रह रहे शोधकर्ता शाश्वत सिंह अपनी पत्नी के साथ दिल्ली पहुंचे। उन्होंने एक समाचार एजेंसी को बताया, ''हम हवाई हमले की सूचना देने वाले सायरन की आवाज सुनकर उठे। हम मध्य इजराइल में रहते हैं। मुझे नहीं पता कि यह संघर्ष क्या रूप लेगा।”

कृषि क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे सिंह ने कहा कि उन सायरन की आवाज और बीते कुछ दिनों के भयावह अनुभव अभी भी उन्हें डरा रहे हैं। सिंह ने कहा, ”भारतीयों को सुरक्षित निकालना एक सराहनीय कदम है। हमें उम्मीद है कि शांति बहाल होगी और हम काम पर वापस लौटेंगे। भारत सरकार ईमेल के माध्यम से हमारे साथ संपर्क में थी। हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इजराइल मंत भारतीय दूतावास के आभारी हैं।”

हमास आतंकवादियों द्वारा पिछले शनिवार को इजराइल पर ताबड़तोड़ हमले किए जाने और फिर इजराइल की जवाबी कार्रवाई के बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया था, जिसके परिणामस्वरूप स्वदेश वापसी के इच्छुक लोगों को वापस लाने के लिए भारत ने ऑपरेशन अजय शुरू किया।

घर वापस आने वाले कई विद्यार्थियों ने शनिवार की उस डरावनी रात को याद किया और बताया कि हमास के हमलों के मद्देनजर कैसे उन्हें बार-बार अस्थायी शिविरों में भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।

पश्चिम बंगाल के निवासी और इजराइल के बीरशेबा में 'बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ द नेगेव' में पीएचडी के प्रथम वर्ष के छात्र सुपर्नो घोष विशेष विमान से दिल्ली पहुंचे भारतीय समूह का हिस्सा हैं।

उन्होंने कहा, ”हम नहीं जानते थे कि आखिर हुआ क्या। शनिवार को कुछ रॉकेट दागे गए लेकिन हम अस्थायी शिविरों में सुरक्षित थे। अच्छी बात यह थी कि इजराइली सरकार ने हर जगह शिविर बनाए हुए थे, इसलिए हम सुरक्षित थे।”

कई छात्राओं ने हमले के दौरान उस भयावह स्थिति से गुजरने का अपना अनुभव साझा किया।

जयपुर की रहने वाली मिनी शर्मा ने बताया, ”हालात बहुत ही डरावने थे। हम वहां नागरिक के तौर पर नहीं थे.. हम वहां सिर्फ विद्यार्थी के तौर पर थे। इसलिए जब भी सायरन बजता तो हमारे लिए हालात और डरावने हो जाते थे।”

इजराइल से निकालने के लिए विमान की सूचना प्राप्त होने के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया, ” एक दिन पहले ही इसकी सूचना मिली थी।”

शर्मा ने बताया, ”भारतीय दूतावास से संदेश प्राप्त होने के बाद हमने कल (बृहस्पतिवार) सुबह ही हमारा सामान पैक किया था। वे बहुत मददगार हैं। हम चौबीसों घंटे उनके संपर्क में थे।”

छात्र दीपक ने बताया, ''हमने शनिवार को सायरन की आवाजें सुनीं। जब हमले होते थे, तब हम धमाकों की आवाज सुन सकते थे। इजराइली अधिकारी हमें एहतियात बरतने के दिशा-निर्देश दे रहे थे। लगातार हमले हो रहे थे। मैं घर वापस आकर बहुत खुश हूं लेकिन वहां (इजराइल) फंसे हमारे दोस्तों के लिए दुखी भी हूं।''

छात्र ने संवाददाताओं को बताया कि सुरक्षित बाहर निकालने की प्रक्रिया बहुत सहज थी।

इजराइल से आए भारतीयों के पहले जत्थे में शामिल पश्चिम बंगाल की ही निवासी दुती बनर्जी ने कहा कि वहां स्थिति काफी खराब और अस्थिर है।

उन्होंने कहा, ”सामान्य जीवन मानो ठहर सा गया है। लोग डरे हुए हैं और गुस्से में हैं। यहां तक कि जब मैं रवाना हो रही थी तब भी मैंने सायरन की आवाजें सुनीं और मुझे शिविर में जाना पड़ा।”

अन्य छात्र सोनी ने उनका अच्छी तरह से ध्यान रखने के लिए भारत और इजराइल सरकार को धन्यवाद दिया।

उन्होंने बताया, ”मैंने दो उड़ानें बुक की थीं क्योंकि मैं इस बात का लेकर आश्वस्त नहीं थी कि भारत सरकार कब हमें वहां से निकालेगी। लेकिन मैं वापस आकर बहुत खुश हूं…. बहुत से भारतीय अभी भी इजराइल में हैं।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बृहस्पतिवार को कहा था कि इजराइल में फिलहाल करीब 18 हजार भारतीय जबकि वेस्ट बैंक में करीब एक दर्जन और गाजा में तीन से चार भारतीय रह रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री राजी‍व चंद्रशेखर ने दिल्ली हवाई अड्डे पर यात्रियों का स्वागत किया। उन्होंने हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन किया और उनमें से कुछ लोगों से हाथ मिलाते हुए कहा ‘वेलकम होम’।

शीर्ष अदालत के आदेशों की अनदेखी नहीं कर सकते महाराष्ट्र विधानसभाध्यक्ष: उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली
 उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई विधायकों की अयोग्यता से संबंधित याचिका पर फैसला करने में देरी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के प्रति नाराजगी जताते हुए शुक्रवार को कहा कि वे ''शीर्ष अदालत के आदेशों की अनदेखी नहीं कर सकते।''

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, ''किसी को विधानसभा अध्यक्ष को यह सलाह देनी होगी कि वह उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अनदेखी नहीं कर सकते'' और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे पर निर्णय लेने की समयसीमा के बारे में शीर्ष अदालत को अवगत कराने को कहा।

सीजेआई ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा, नहीं तो पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी।

पीठ ने कहा कि अगर वह विधानसभा अध्यक्ष की समयसीमा से संतुष्ट नहीं होती तो वह निर्देश देगी कि निर्णय दो महीने के भीतर लिया जाये।