पितृ पक्ष की सभी तिथियों में अमावस्या श्राद्ध तिथि का विशेष महत्व होता है. इस बार यह अमावस्या 14 अक्टूबर दिन शनिवार को है. यह खास दिन पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है. अगर आपने पितृपक्ष में अभी तक श्राद्ध नहीं किया है या फिर आपको अपने पूर्वजों की तिथि नही ज्ञात हो तो आप सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण कर उनका श्राद्ध कर सकते है.
बताया कि पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनें. पितरों के तर्पण के लिए सात्विक पकवान बनाएं और उनका श्राद्ध करें. शाम के समय सरसों के तेल के चार दीपक जलाएं. इन्हें घर की चौखट पर रख दें.
इस विधि से करे पितृ मोक्ष अमावस्या पर श्राद्ध
एक दीपक लें. एक लोटे में जल लें. अब अपने पितरों को याद करें और उनसे यह प्रार्थना करें कि पितृपक्ष समाप्त हो गया है, इसलिए वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में वापस चले जाएं और भगवान विष्णु जी का स्मरण कर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक रखें जल चढ़ाते हुए पितरों के आशीर्वाद की याद करें. पितृ विसर्जन के दौरान किसी से भी बात ना करें.
काले तिल से तर्पण
बताया कि गरुड़ पुराण के अनुसार पितरों को भोजन देने से पहले पांच जगह के लिए भोजन अलग से निकालकर रखे जिनमे गाय, कुत्ता, कौवा पहले इनको तृप्त करे इसके बाद सीधे हाथ की अनामिका अंगुली में कुशा पहने अगर वो नही हो तो दूर्वा पहनकरकाले तिल डालकर पितरों का पिंडदान और तर्पण जरूर करे और ध्यान रहे कि तर्पण हमेशा काले तिल से ही करे.