बेंगलुरु
कावेरी जल विवाद पर उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक कावेरी जल विनियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) के उस निर्देश के खिलाफ अपील करेगा, जिसमें एक बार फिर राज्य को पड़ोसी तमिलनाडु को नदी का पानी छोड़ने की सिफारिश की गई है।
सीडब्ल्यूआरसी ने सिफारिश की, कि कर्नाटक अपने जलाशयों से 16 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर तक पानी छोड़ना सुनिश्चित करे। तमिलनाडु के साथ कावेरी जल विवाद में पानी छोड़ने का मामला जल्द ही कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के समक्ष आने की उम्मीद है, जो अपनी सहायक संस्था सीडब्ल्यूआरसी की सिफारिश के आधार पर एक आदेश जारी करेगा।
सीडब्ल्यूआरसी की सिफारिश के खिलाफ करेंगे अपील
शिवकुमार ने कहा, 'हमारे पास (राज्य के जलाशयों में) 8,000-9,000 क्यूसेक का जल प्रवाह है, लेकिन फिर भी हम किसानों के हितों की रक्षा करेंगे। हम इसके (सीडब्ल्यूआरसी की सिफारिश) के खिलाफ अपील करेंगे। हमें यह बहुत मुश्किल लगता है, क्योंकि अभी भी बारिश नहीं हुई है।" यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 'बेंगलुरु में एक या दो बार हल्की बारिश हुई है, लेकिन यह अभी तक बिलिगुंडलू तक नहीं पहुंची है। हम इसकी योजना बनाएंगे, लेकिन हम इसके खिलाफ अपील करेंगे।'
लोड शेडिंग के कारण राज्य के कई हिस्सों में बिजली कटौती और किसानों को होने वाली परेशानी पर डिप्टी सीएम ने कहा, 'राज्य के कई हिस्सों में सूखे की स्थिति है। बिजली की कमी के कारण, ऊर्जा मंत्री के जे जॉर्ज ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री (आर के सिंह) से मुलाकात की है और केंद्रीय ग्रिड से बिजली की आपूर्ति की मांग की है।'
उन्होंने कहा, 'जब मैं (पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान) बिजली मंत्री था, तब मैंने 12,000 मेगावाट से अधिक बिजली जोड़ी, लेकिन जब भाजपा का शासन था, तो उन्होंने कोई बिजली जोड़ने की योजना नहीं बनाई। उन्होंने बस बिजली बेचने का काम किया। लेकिन उसका विकास नहीं किया। अभी हालात ऐसे हैं कि हर तरफ सूखा है, लगभग 200 तालुक सूखे में हैं और लोगों को बहुत मुश्किल हो रही है।'