मंडला
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आज मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल मंडला जिले के रामनगर क्षेत्र से विधानसभा चुनाव प्रचार का आगाज कर रही हैं। यहां वे जन आक्रोश सभा को संबोधित कर रही हैं। चुनाव की घोषणा होने के बाद प्रियंका की यह मध्य प्रदेश में पहली सभा है। इससे पहले उन्होंने रामनगर क्षेत्र के चौगान की मढ़िया में पूजा की और आमसभा को संबोधित किया।
रामनगर गोंडकालीन ऐतिहासिक राजधानी है और यह सभा भी ऐतिहासिक होने जा रही है। यही कारण है कि जिले के सबसे महत्वपूर्ण स्थान से उन्होंने जन आक्रोश सभा को संबोधित करने का निर्णय लिया है। सभा में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री एवं विधायक तरुण भनोट, पूर्व मंत्री, विधायक व सीडब्ल्यूसी सदस्य कमलेश्वर पटेल, पूर्व मंत्री ओंकार सिंह मरकाम, अरुण पचौरी समेत संगठन के मंत्री व पदाधिकारी शामिल हैं।
एमपी पर भाई-बहन का फोकस
बहन-भाई की इस जोड़ी का पूरा फोकस इस समय एमपी पर है। दोनों लगातार मध्यप्रदेश के अलग अलग भागों में पहुंचकर वोट बैंक बना रहे हैं। प्रियंका के मंडला दौरे से दो दिन पहले ही राहुल गांधी शहडोल में दौरा करके जा चुके हैं। इसके पहले प्रियंका धार के मोहनखेड़ा में तो राहुल गांधी शाजापुर के कालापीपल में जनसभा कर मालवा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं। इसके साथ ही प्रियंका जबलपुर और ग्वालियर में भी दौरा कर चुकी हैं।
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र
गौरतलब है कि मंडला जिले की तीनों विधानसभाएं मंडला, निवास और बिछिया आदिवासी बहुल हैं। इसके अलावा डिंडौरी जिले की डिंडौरी और शाहपुरा विधानसभा भी आदिवासी बहुल हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को मंडला और डिंडौरी जिले में अच्छी सफलता मिली और डिंडौरी की दोनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हुआ।
शंकर शाह-रघुनाथ शाह की प्रतिमा पर माल्यार्पण
प्रियंका ने यहां शंकर शाह-रघुनाथ शाह की प्रतिमा पर माल्यार्पण और नर्मदा पूजन के बाद वे आम सभा को संबोधित किया। चुनावी आंकड़ों की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 47 सुरक्षित आदिवासी सीटों में से 31 कांग्रेस जीतने में सफल रही थी, जबकि बीजेपी को सिर्फ 16 सीटें ही मिली थीं। हालांकि, इससे पहले 2013 के चुनाव में बीजेपी ने आदिवासी रिजर्व 47 में से 30 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थीं। इसीलिए कांग्रेस आदिवासी वोटों पर अपनी पकड़ मजदूत रखना चाहती है।