उज्जैन
श्राद्ध पक्ष की एकादशी पर्व पर रामघाट क्षेत्र में एक अलग ही नजारा दिखाई दे रहा था, जहां 650 दक्षिण भारतीय तर्पण व पिंडदान करने एक साथ पहुंचे थे। जिन्होंने सामूहिक रूप से पितृ शांति के लिए पूजन अर्चन किया। महालय श्राद्धपक्ष में अपने पितरों को मोक्ष प्रदान करने की कामना से दक्षिण भारत के चार राज्यों के 650 श्रद्धालु भारत गौरव ट्रेन से सप्तपुरियों की यात्रा कर रहे हैं। यह यात्री मंगलवार को उज्जैन पहुंचे थे, इसके बाद सभी यात्रियों ने मोक्षदायनी शिप्रा के रामघाट पहुंचकर पितृकर्म किए। यहां से यात्रा ओंकारेश्वर के लिए रवाना हुई।
12 अक्टूबर को सप्तमोक्ष यात्रा चेन्नई पहुंचकर संपन्न होगी। यात्री दल के प्रमुख रमेश अय्यंगार ने बताया 1 अक्टूबर को चेन्नई से भारत गौरव ट्रेन द्वारा सप्तमोक्ष यात्रा की शुरुआत हुई थी। इस ट्रेन में दक्षिण भारत के चार राज्य तमिलनाडू, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश तथा तेलंगाना के करीब 650 श्रद्धालु सफर कर रहे हैं। यात्रा का पहला पड़ाव द्वारिका था। इसके बाद मात्रगया, पुष्कर, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, मथुरा वृंदावन होते हुए मंगलवार को यात्रा उज्जैन पहुंची।
ट्रेन में सवार सभी यात्री अपने पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान कर रहे हैं। संपूर्ण पितृकर्म दक्षिण भारतीय पद्धति से हो, इसके लिए यात्रा में 10 दक्षिण भारतीय विद्वान ब्राह्मण भी साथ चल रहे हैं। यात्रा के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 50 हजार रुपये शुल्क लिया गया है, इसमें खाने, पीने तीर्थ स्थलों पर रहने तथा आवागमन के लिए वाहनों का खर्च शामिल है।