इंदौर
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की टिप्पणी पर पलटवार किया। कांग्रेस नेता ने कहा था कि मध्य प्रदेश के लोग सीएम शिवराज सिंह चौहान को इस बार अलविदा कह देंगे। विजयवर्गीय ने कहा कि शायद वे (नाथ) वास्तविकता नहीं जानते हैं।
एएनआई से बात करते हुए, विजयवर्गीय ने कहा, 'शायद वह (नाथ) वास्तविकता नहीं जानते हैं। राज्य के लोग बीजेपी के साथ हैं। वे बीजेपी के विकास के साथ, महिला सशक्तिकरण के साथ, युवाओं को रोजगार प्रदान करने की योजनाओं के साथ और राज्य में गरीब कल्याण कार्यक्रम के साथ हैं। यही कारण है कि पिछले 20 सालों में मध्य प्रदेश की जनता हमेशा बीजेपी और सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ रही है। इसलिए, यह कमलनाथ की गलतफहमी है, इसे जल्द ही दूर कर दिया जाएगा।'
इससे पहले कमलनाथ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि राज्य की जनता जल्द ही सीएम चौहान को अलविदा कह देगी, जिन्होंने पिछले 18 सालों में राज्य को बर्बाद कर दिया है। नाथ ने एएनआई से कहा, 'अब समय आ गया है जब झूठ और घोषणाओं की मशीन बंद होने वाली है। पिछले 18 वर्षों में एमपी को 'चौपट प्रदेश' बनाने वाले शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश की जनता अलविदा कह देगी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मध्य प्रदेश के लोग पीड़ित हैं और हर वर्ग दुखी है। भारतीय जनता पार्टी और सीएम चौहान को भी इसका एहसास है।'
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने सोमवार को मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की। मिजोरम में 7 नवंबर, छत्तीसगढ़ में 7 और 17 नवंबर, मध्य प्रदेश में 17 नवंबर, राजस्थान में 23 नवंबर और तेलंगाना में 30 नवंबर को चुनाव होंगे। पांचों राज्यों के लिए वोटों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में चुनाव की तारीखों की घोषणा की। इन राज्यों में चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। मध्य प्रदेश के 230 विधानसभा क्षेत्रों से विधायक चुने जाएंगे। 2018 के चुनावों में, कांग्रेस ने 41.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 114 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी दूसरे स्थान पर रही और 109 सीटें जीतने में सफल रही थी। उसका वोट शेयर 41.6 फीसदी था।
हालांकि 2020 में, ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व वाले एक गुट के कुछ विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। सिंधिया और उनके समर्थक बाद में बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद राज्य में बीजेपी की सरकार बनी और शिवराज सिंह चौहान दोबारा मुख्यमंत्री बने।