नई दिल्ली । बसंत पंचमी विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की आराधना, उपासना और पूजा का पर्व है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से जीवन में हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। पंडितों के मुताबिक, वसंत पंचमी पर कलम की पूजा भी की जाती है। 9 फरवरी को पंचमी तिथि दोपहर 12 बजकर 26 मिनट पर आरंभ हो चुकी है और 10 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। सरस्वती पूजन का शुभ समय सुबह 7 बजकर 12 मिनट से दोपहर 1 बजे तक है। इस दिन पढ़ाई में कमजोर बच्चे मां की आराधना कर और कुछ उपाय कर उनकी कृपा पा सकते हैं। वसंत को ऋतुओं का राजा और प्रेम की ऋतु भी कहा जाता है। सुबह स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। मां सरस्वती को सफेद चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें। उनका ध्यान कर ॐ ऐं सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। मां सरस्वती की आरती करें दूध, दही, तुलसी, शहद मिलाकर पंचामृत का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाएं। ज्योतिष के अनुसार, जिनकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो या अस्त हो या बच्चे का पढ़ाई में मन न लगे, तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को हरे फल आर्पित करके कम से कम 11 गरीबों को अवश्य बांटना चाहिए। पढ़ने की जगह पर पर्दे, कुर्सी के कवर आदि हल्के हरे रखें। मां सरस्वती का चित्र अध्ययन कक्ष या टेबल पर रखें। उनका स्मरण करने के बाद पढ़ें। अपनी टेबल पर क्रिस्टल या स्फटिक का ग्लोब रखें और उसे दिन में कम से कम तीन बार घुमाएं। वसंत पंचमी के दिन को बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के आरंभ के लिए शुभ मानते हैं। इस दिन बच्चे की जीभ पर शहद से ॐ बनाना चाहिए। माना जाता है कि इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है। 6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है। अन्नप्राशन के लिए यह दिन अत्यंत शुभ है। वसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है। वसंत ऋतु प्रेम की मानी जाती है इसलिए परिवार के विस्तार के लिए भी यह ऋतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरूआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है।