नई दिल्ली
रक्षा मंत्रालय ने नई विकलांगता पेंशन पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। यह पेंशन सैन्यकर्मियों के लिए है। मंत्रालय का कहना है कि दुरुपयोग रोकने के लिए नई नीति बनाई गई है। विकलांगता पेंशन की यह नई स्कीम 21 सितंबर 2023 के बाद से रिटायर होने वाले जवानों पर लागू होगी।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पहले की विकलांगता पेंशन की न्यूनतम सीमा जवानों के मूल वेतन का 20 फीसदी थी, हालांकि अब नई नियमों में इसे 5 फीसदी कर दिया गया है। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, अब जवानों की मेडिकल रिपोर्ट आधार पर विकलांगता के अनुपात में पेंशन बढ़ोतरी का नियम है।
नए प्रावधानों के अंतर्गत यह 5 प्रतिशत से बढ़कर 10 और इसकी अधिकतम सीमा 40 प्रतिशत तक जा सकती है। इस नीति के बारे में चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा, "नया नियम लाने की बड़ी वजह है, ताकि फोर्स को सही तरीके से ऑपरेशनल रूप से तैयार रखा जा सके। उन्हें मोटिवेटेड रखा जा सके। पुराने नियम के दुरुपयोग को रोका जा सके।"
पेंशन के एंटाइटलमेंट और एमोलूमेंट्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है। विकलांग होने के बाद भी अगर कोई सेना में रहता है, तो उसको इम्प्रेड रिलीफ मिलेगा। यह 21 सितंबर 2023 से लागू होगा। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि ड्यूटी में रहते हुए यदि जवान विकलांगता का शिकार होता है तो ऐसी स्थिति में प्रभावित जवानों को पहले से ज्यादा विकलांगता पेंशन मिलेगी। सेवा के मुताबिक, इस नए बदलाव से फैमिली पेंशन पर कोई असर नही पड़ेगा। साथी यह भी कहा जा रहा है कि यह नई योजना जवानों व अफसर को फिट बने रहने के लिए प्रोत्साहित करेगी। चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को बताया कि नई पेंशन नीति से किसी पूर्व सैनिक को नुकसान नहीं होगा। उनका कहना है कि न ही इस पेंशन योजना से भविष्य में रिटायर होने वाले सैनिकों की पेंशन पर कोई दुष्प्रभाव पड़ेगा।
जनरल चौहान का कहना है कि इस नई योजना से केवल दिव्यांगता पेंशन को रेशनालाइज किया गया है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि विकलांगता पेंशन के लिए पहले दावेदारी 5 प्रतिशत के आसपास रहती थी। हालांकि इन दिनों इसमें काफी वृद्धि हुई है। पहले के मुकाबले कई गुना जवान व अधिकारी इसके लिए दावा पेश करते हैं।
ऐसे में दुरुपयोग रोकने के लिए पेंशन की नई नीति बनाई गई है। नई दिव्यांगता पेंशन नीति को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। मौजूदा कार्यरत सैन्य अधिकारियों व जवानों समय पूर्व एवं रिटायर्ड जवानों में इस नई योजना को लेकर असमंजस है। इसे दूर करने के लिए तीनों सेनाओं ने 3 अक्टूबर को पूर्व सैनिक संगठन के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक कर उन्हें इस विषय में जानकारी भी दी है।