नईदिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि 2,000 रुपये के नोटों में से 87 फीसदी बैंकों में डिपॉजिट्स के रूप में वापस आ गए हैं। जबकि बाकी काउंटर्स पर बदले गए हैं। द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए दास ने बताया कि 19 मई, 2023 को 3.56 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 2,000 रुपये के नोटों में से 12,000 करोड़ रुपये अभी तक वापस नहीं आए हैं।
आज का दिन शेष
पिछले शनिवार को आरबीआई ने कहा था कि 29 सितंबर तक 3.42 लाख करोड़ रुपये के नोट वापस प्राप्त हुए हैं और 14,000 करोड़ रुपये अभी तक वापस नहीं आए हैं। केंद्रीय बैंक ने नोटों को वापस करने की समय सीमा भी एक सप्ताह बढ़ा दी थी। अब आप आरबीआई द्वारा सर्कुलेशन से बाहर किये गए 2,000 के नोटों को आज 7 अक्टूबर तक ही बैंकों में जमा करा सकते हैं। इस समयसीमा से चूक गए तो ये नोट रद्दी हो जाएंगे।
महंगाई कम करने में लगा आरबीआई
दास ने कहा कि आरबीआई 4 फीसदी हेडलाइन इन्फ्लेशन टार्गेट पर पूरी तरह फोकस करना चाहता है। जब तक महंगाई के आंकड़े कम नहीं हो जाते, मौद्रिक नीति 'एक्टिवली डिसइन्फ्लेशनरी' रहेगी। दास ने कहा कि सरकार के बैंकर के रूप में आरबीआई को केंद्र सरकार के फाइनेंसेज पर कोई चिंता नहीं है।
बैंकों को दिये निर्देश
डिप्टी गवर्नर जे स्वामीनाथन ने कहा, '13-14 फीसदी की ओवरऑल क्रेडिट ग्रोथ के मुकाबले 33 फीसदी की "आउटलेयर" लोन ग्रोथ ने आरबीआई को पर्सनल लोन्स का मुद्दा उठाने और बैंकों को किसी भी जोखिम के निर्माण से बचने के लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।' दास ने फाइनेंसरों से कहा कि वे पता लगाएं कि संकट कहां आने की संभावना है और उचित कदम उठाएं। गवर्नर ने यह भी कहा कि अगर अन-ऑडिटेड रिजल्ट्स देखें, तो जून तिमाही में ग्रॉस एनपीए में सुधार हुआ है।