भोपाल
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल इस बार फिर से क्या भाई-भाई को विधानसभा के चुनाव में उतारेंगे, यह सवाल अभी प्रदेश की राजनीति में बरकरार है। दरअसल भाजपा की जिन दो सीटों से ये दो भाई लड़तें हैं, उस सीट पर अभी उम्मीदवार का चयन नहीं हुआ। जबकि कांग्रेस की अभी कोई सूची ही नहीं आई है।
कांग्रेस में भाई-भाई के अलावा चाचा- भतीजा और एक सीट पर पिछले चुनाव में चाचा और भतीजे आमने-सामने ही लड़ लिए थे। इस चुनाव में ऐसी ही आधा दर्जन सीटों पर लोगों की नजर है। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में कसरावद से सचिन यादव और बुधनी से अरुण यादव को चुनाव मैदान में उतारा था। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव के दोनों ही बेटे हैं। सुभाष यादव की परम्परागत सीट कसरावद ही रही है। जबकि अरुण यादव प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम हैं, इसलिए उन्हें पिछला चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ उतारा गया था। इस बार अरुण यादव का नाम अपने ही प्रभाव वाले क्षेत्र निमाड की एक सीट से चल रहा है।
उनका नाम इस बार बुधनी की जगह खंडवा जिले की मांधाता सीट से चल रहा है। वर्ष 2018 में यह सीट कांग्रेस ने जीती थी, लेकिन कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पटेल बाद में भाजपा में शामिल हो गए और वे उपचुनाव जीत गए। अब इस सीट से अरुण यादव का नाम भी चल रहा है। सचिन यादव का टिकट कसरावद से तय माना जा रहा है। यदि अरुण यादव को मांधाता या उनकी पंसद की किसी सीट से टिकट मिला तो एक बार फिर दोनों भाई मैदान में दिखाई देंगे।
मकड़ई परिवार के दो भाई होंगे रण में
वन मंत्री विजय शाह और उनके भाई संजय शाह दोनों ही भाजपा के विधायक हैं। विजय शाह जहां खंडवा जिले की हरसूद से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। वहीं संजय शाह हरदा जिले की टिमरनी से चुनाव जीतते जा रहे हैं। खासबात यह है कि संजय शाह ने पहला चुनाव वर्ष 2008 में निर्दलीय लड़कर जीता था। इसके बाद से भाजपा ने उन्हें 2013 और 2018 में टिकट दिया दोनों बार वे चुनाव जीते। वहीं विजय शाह 1990 से लगातार हरसूद सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं। वे अब तक इस सीट से सात चुनाव जीत चुके हैं। इस बार भी दोनों ही टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
चाचा-भतीजा भी फिर मैदान में दिखेंगे
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह इस बार फिर से चाचौड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, वहीं दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह अपने पिता की परम्परागत सीट राघौगढ़ सीट से चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस दोनों को ही मैदान में उतारने का मन बना चुकी है। पिछला चुनाव भी चाचा और भतीजे ने गुना जिले की इन दोनों सीटों से लड़ा था और विधानसभा में पहुंचे थे। इस बार भी ऐसा ही सीन बन रहा है।
चाचा-भतीजा होंगे आमने-सामने
एक सीट ऐसी भी थी, जहां पर सगे चाचा और भतीजा आमने-सामने आ गए थे। यह सीट हरदा जिले की टिमरनी थी, इस सीट पर जहां चाचा संजय शाह भाजपा के उम्मीदवार थे। वहीं उनके बड़े भाई अजय शाह के बेटे अभिजीत शाह कांग्रेस के उम्मीदवार थे। दोनों में जबरदस्त मुकाबला हुआ था, जिसमें चाचा ने भतीजे को हरा दिया था। यह मुकाबला एक बार फिर से देखने को मिल सकता है। दोनों ही फिर से टिकट की अपनी-अपनी पार्टी से दावेदारी कर रहे हैं।