जबलपुर
प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज गुरुवार 5 अक्टूबर को अपने कार्यकाल में 35वीं बार मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं. पीएम मोदी यहां जबलपुर (Jabalpur) में आदिवासी वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. वीरांगना रानी दुर्गावती के 100 करोड़ की लागत से बनने वाले स्मारक के शिलान्यास के साथ ही वे 12 हजार करोड़ के विकास कार्यों की सौगात भी देंगे. महाकौशल अंचल के आदिवासी वोटरों के हिसाब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है. इस वक्त जातीय गणना से देश के साथ मध्य प्रदेश की राजनीति भी गरमाई हुई है.
इसी बीच मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जातीय गणना का दांव चल दिया है. बीजेपी इसका काट ढूंढने के साथ रूठे हुए आदिवासी वोटरों को मनाने का भी जतन कर रही है. सूबे में आदिवासी वोटरों की तादाद तकरीबन 22 प्रतिशत है. इसी वजह से बीजेपी लगातार आदिवासी नायकों को सम्मान देने के लिए बड़े आयोजन करने में जुटी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबलपुर में वीरांगना रानी दुर्गावती स्मारक की आधारशिला रखने के साथी उनके वंशज राजा शंकर शाह और कुमार रघुनाथ शाह म्यूजियम का भी लोकार्पण करेंगे. यह दोनों 1857 की क्रांति के वीर शहीद कहलाते हैं जिन्हें, अंग्रेजों ने जबलपुर में टॉप के मुंह में बांधकर उड़ा दिया था.
47 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व है
यहां बताते चले कि, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस ने उन 78 सीटों पर अपना फोकस बढ़ा दिया है, जहां आदिवासी वोटर ही जीत-हार का फैसला करते हैं. इनमें से 47 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. दोनों ही दलों की चिंता की बड़ी वजह यह है कि आदिवासी समुदाय का रुझान फिलहाल बेहद नकारात्मक दिख रहा है. इसी के चलते बीजेपी ने अपने दोनों दिग्गज नेताओं पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को एक साथ आदिवासी वोटरों की पिच पर बैटिंग के लिए उतार दिया है. पिछले महीने जनआशीर्वाद यात्रा को हरी झंडी दिखाने गृहमंत्री अमित शाह मंडल आए हुए थे. वहीं अब 5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिवासी बहुल महाकौशल अंचल के सबसे बड़े शहर जबलपुर में पब्लिक रैली करने जा रहे हैं.
क्या कहते हैं चुनावी आंकड़े?
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस भी प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को आदिवासियों के बीच उतार रही है. जून माह में प्रियंका गांधी जबलपुर में एक पब्लिक रैली कर चुकी हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 47 सुरक्षित आदिवासी सीटों में से 31 कांग्रेस जीतने में सफल रही थी, जबकि बीजेपी को सिर्फ 16 सीटें ही मिली थीं. हालांकि, इससे पहले 2013 के चुनाव में बीजेपी ने 47 में से 30 सीटें जीती थीं. इसीलिए कांग्रेस आदिवासी वोटों पर अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहती है, तो बीजेपी आदिवासियों को फिर से अपने साथ जोड़ने की हरसंभव कोशिश कर रही है. मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे कहते हैं कि, पिछले चुनाव में आदिवासी वोटरों ने बीजेपी के प्रति बेरुखी दिखाई थी. शिवराज सरकार के अभी तक के कार्यकाल में भी आदिवासियों में भारतीय जनता पार्टी को लेकर कोई बड़ा उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है.
अकबर के जुल्म के आगे झुकने नहीं झुकीं रानी दुर्गावती
बीजेपी के लिए आदिवासी वोटरों को साधे बिना भोपाल की कुर्सी हासिल करना बेहद कठिन माना जा रहा है. भारत की महानतम वीरांगना रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 में हुआ था, जिन्होंने अपनी मातृभूमि और आत्मसम्मान की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान दिया था. रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर भारत सरकार द्वारा 24 जून 1988 को उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया था. बांदा जिले के कालिंजर किले में 1524 ईसवी की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण ही उनका नाम दुर्गावती रखा गया. नाम के अनुरूप ही वह तेज, साहस, शौर्य और सुंदरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गई. गोंडवाना राज्य के राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से उनका विवाह हुआ था.
दुर्भाग्यवश विवाह के 4 वर्ष बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया. उस समय दुर्गावती का पुत्र नारायण 3 वर्ष का ही था. ऐसे में रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन संभाल लिया. वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केंद्र था. रानी दुर्गावती इतनी पराक्रमी थीं कि, उन्होंने अकबर के जुल्म के आगे झुकने से इंकार कर दिया. अपने राज्य की स्वतंत्रता और अस्मिता के लिए उन्होंने युद्ध भूमि को चुना और अनेक बार शत्रुओं को पराजित करते हुए 24 जून 1564 में बलिदान दे दिया.