झरिया धनबाद.
धनबाद के कोयला क्षेत्र झरिया में वर्षों से जमीन के नीचे आग सुलग रही है। लेकिन एक इंसान ऐसा है जो इसी जमीन के ऊपर हरियाली लाने की कोशिश में लगा है। पिछले दो दशक से झरिया के डॉ. मनोज सिंह इस कोशिश में लगे हैं। ये पेशे से फिजियोथैरेपिस्ट हैं। अब तक 95 हजार से अधिक पौधे स्वयं और अपने सहयोगियों की मदद से लगा चुके हैं।
डॉ. मनोज सिंह का पर्यावरण के प्रति लगाव ऐसा है कि वे अपनी आय का 20 प्रतिशत प्रतिमाह इस पर खर्च करते हैं। वे 1998 से पौधे लगाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने पैतृक गांव बिहार के औरंगाबाद जिले के बेलाइगांव नबीनगर में भी करीब दो हजार पौधे लगाए हैं जो अब पेड़ का रूप ले चुके हैं।
डॉ. सिंह कहते हैं कि झरिया देश की सबसे प्रदूषित जगहों में से एक है। यह प्रदूषण पर्यावरण संरक्षण कर ही दूर किया जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण को स्वरोजगार से जोड़ना बहुत जरूरी है। तभी पर्यावरण के प्रति लोग सजग होंगे। लोगों को फलदार वृक्ष लगाने के प्रति प्रेरित करना होगा। यह काम वे धनबाद के घनुडीह स्थित दुर्गापुर कुष्ठ कॉलोनी, भौंरा के बिरसा कॉलोनी में कर चुके हैं।
उन्होंने मोहलबनी कुष्ठ कॉलोनी में 110 पौधे लगाए हैं। वे जल संरक्षण पर भी काफी जोर देते हैं। होली या अन्य दिनों में सैकड़ों एसएमएस भेजकर, व्हाट्सएप और फेसबुक पर गोष्ठी आयोजित कर लोगों से जल संरक्षण करने की भी अपील करते हैं। जल संरक्षण के लिए वे भौंरा कुष्ठ कॉलोनी और बलियापुर में लोगों के सहयोग और श्रमदान से तालाब की खुदाई करवा चुके हैं।
डॉ. सिंह कहते हैं कि कोयलांचल के लोग अगर अस्थमा, निमोक्लीसिस यानी फेफड़े की बीमारी, त्वचा आदि सहित अन्य रोगों से बचना चाहते हैं तो हर व्यक्ति को साल में एक पौधा जरूर लगाना चाहिए। क्योंकि यहां भूमिगत आग, उत्खनन परियोजनओं, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, वाहनों की संख्या बढ़ने से वायु में कार्बन की मात्रा बढ़ रही है। इसे पौधे लगाकर ही रोका जा सकता है।