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यूपी में दलित वोट पर ही क्यों है सबकी नजर? बीजेपी, सपा और कांग्रेस के त्रिकोणीय प्रहार से कैसे बचेंगी मायावती?

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लखनऊ

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस सभी दल पूरी ताकत के साथ जुट गए हैं। मायावती और बसपा से खिसक रहे दलित वोट बैंक पर सभी की निगाहें टिकी हैं। अखिलेश ओबीसी और मुस्लिम के साथ दलित को साध रहे हैं तो बीजेपी ने मास्टर प्लान बनाया है। बीजेपी ने बाकायदा अभियान चलाया है। दलितों के बीच मजबूत पैठ के लिए बसपा या मायावती या कांशीराम के बारे में कुछ भी नेगेटिव नहीं बोलने कहा गया है। उधर, कांग्रेस भी दलित वोट की वापसी की कोशिश में जुटी है। नौ अक्तूबर को कांशीराम जयंती पर कांग्रेस प्रदेश में ‘दलित गौरव संवाद अभियान’ की शुरुआत करने जा रही है। वहीं मायावती भी दलित वोट बैंक में सेंधमारी न हो सके इसकी जुगत में लगी हैं। नवंबर तक कॉडर बैठकें, पदाधिकारियों संग महा मंथन, फीडबैक, एनडीए और विपक्षी ‘इंडिया दोनों गठबंधनों से दूरी यह सब इसी रणनीति का हिस्सा है। हालांकि अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मायावती बीजेपी, सपा और कांग्रेस के त्रिकोणीय प्रहार से कैसे बचेंगी?  

आपको बता दें कि प्रदेश में आरक्षित लोकसभा सीटों की संख्या 17 है। मगर 21 से 22 फीसदी दलित वोट बैंक अधिसंख्य सीटों पर निर्णायक स्थिति में है। दलितों में सबसे अधिक संख्या जाटव समुदाय की है, जो कि कुल दलित जनसंख्या की आधी से अधिक मानी जाती है। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा जहां सभी 17 आरक्षित सीटें जीतने में सफल रही थी, वहीं 2019 में उसे 15 सीटों पर जीत मिली थी। दो रिजर्व सीटों पर बसपा ने कब्जा जमा लिया था।

भाजपा का दलित वोट के लिए मास्टर प्लान
भाजपा दलितों के बीच पैठ बढ़ाने के लिए बस्ती प्लान तैयार किया है। बस्ती सम्पर्क अभियान के तहत पार्टी के दलित सांसद-विधायक और पदाधिकारी हर दलित बस्ती में जाएंगे। अक्तूबर में पार्टी प्रदेश के सभी छह संगठनात्मक क्षेत्रों में बड़े दलित सम्मेलन करेगी। इन सम्मेलनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही केंद्र व प्रदेश सरकार के मंत्री भाग लेंगे। हर विधानसभा क्षेत्र से 2 हजार लोगों को लाने का लक्ष्य तय किया गया है। आगे चलकर जिलों में भी पार्टी दलित सम्मेलन और रैली करेगी। बस्ती सम्पर्क अभियान के तहत बस्तियों में लाभार्थियों से सम्पर्क सहित समाज के प्रबुद्ध वर्ग, सेवा निवृत्त अधिकारी, खिलाड़ी, लोक कलाकारों व अन्य प्रमुख लोगों से व्यक्तिगत सम्पर्क करने को कहा।

कांग्रेस का 9 अक्टूबर से दलित गौरव संवाद अभियान  
अब कांग्रेस अपने पुराने वोटर को फिर से पार्टी से जोड़ने की कवायद तेज कर दी है। इसके लिए अभियान चलने जा रही है। दलितों के बीच पैठ मजबूत करने के लिए रणनीति भी बनाई गई है। ओबीस और मुस्लिम वोट बैंक को साधने के साथ  ही पार्टी अब दलितों का निगाहें हैं। इसके लिए कांग्रेस कांशीराम की पुण्यतिथि 9 अक्टूबर से दलित गौरव संवाद अभियान की शुरुआत करेगी, जो कि 26 नवंबर संविधान दिवस तक चलेगा। कांग्रेस यूपी की हर एक विधानसभा के 250 दलित गणमान्यों से संपर्क करेगी। इस दौरान हर विधानसभा में 500 दलितों से मांग पत्र भरवाया जाएगा। कांग्रेस हर विधानसभा में 10 और कुल 4 हजार से अधिक रात्रि चौपालें भी करेगी।