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क्या है दिल्ली शराब घोटाले की ‘अरोड़ा कथा’, करीबी ही बन गया गवाह

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 नई दिल्ली
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता संजय सिंह के आवास पर छापेमारी की। 2021-22 की आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह कार्रवाई की है। ईडी की ओर से अब तक दायर पांच चार्जशीट में संजय सिंह को आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन एजेंसी के अधिकारियों ने एक से अधिक बार कहा है कि राज्यसभा सांसद उनके रडार पर हैं। इस साल मई में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ दायर चार्जशीट में ईडी ने कहा कि रेस्ट्रान्ट चलाने वाले कारोबारी दिनेश अरोड़ा संजय सिंह और मनीष सिसोदिया के बेहद करीबी थे। अरोड़ा शराब घोटाले में अहम आरोपी थे और अब सीबीआई और ईडी के गवाह बन चुके हैं। माना जा रहा है कि अरोड़ा ने ही पहले सीबीआई और अब ईडी को अहम जानकारियां दी हैं।   

सीबीआई के गवाह बन चुके अरोड़ा को इस साल जुलाई में ईडी ने गिरफ्तार करते हुए दावा किया था कि वह घोटाले की अहम कड़ी हैं। एक दिन पहले ही अरोड़ा ईडी केस में भी गवाह बन गए हैं। ईडी ने कहा है कि अरोड़ा की सबसे पहले संजय सिंह से मुलाकात हुई थी। संजय सिंह के जरिए ही वह पूर्व आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के संपर्क में आए। ईडी ने आरोप लगाया कि अरोड़ा को संजय सिंह ने फोन करके दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के लिए फंड जुटाने को कहा था। ईडी ने चार्जशीट में कहा, 'संजय सिंह के कहने पर अरोड़ा ने कई रेस्ट्रान्ट मालिकों से बात की और 82 लाख रुपए के चेक (जिन्हें सिसोदिया को सौंपा गया) आम आदमी पार्टी के लिए जुटाए।'  

 जांच एजेंसी का कहना है कि इस घटना के बाद अरोड़ा के सिसोदिया से व्यक्तिगत संबंध बन गए। पूर्व उपमुख्यमंत्री उनके रेस्ट्रान्ट में अक्सर आने लगे। एक अन्य कारोबारी अमित अरोड़ा ने 2020 में दिनेश अरोड़ा के जरिए संजय सिंह से मुलाकात की थी। उस समय दिल्ली की नीति में लोकल ब्रैंड भी लाभ हासिल कर रहे थे। अमित अरोड़ा जिस ब्रैंड का कारोबार करते थे वह महंगा था और दूसरे बाजारों में उसकी अच्छी बिक्री थी। लेकिन दिल्ली में सरकार नियंत्रित दुकानों में उनकी बिक्री अधिक नहीं थी। नई पॉलिसी में एक प्रावधान करवाकर अरोड़ा दिल्ली के बाजार में अपने लिए बेहतर मौका चाहते थे।

एजेंसी ने कहा, 'दिनेश ने अमित को विवेक कुमार त्यागी से मिलावाया, जोकि मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के करीबी सहयोगी थे। इस बैठक में अमित अरोड़ा, दिनेश सर्वेश मिश्रा (संजय सिंह के सहयोगी), संजय सिंह के पीए अजित त्यागी, विवेक त्यागी और संजय सिंह मौजूद थे। उन्होंने अमित के शराब कारोबार  के बारे में चर्चा की और संजय सिंह ने उनसे कहा कि यदि वह अमित के व्यवसाय में अपने करीबी लोगों/कर्मचारियों को शामिल कर सकते हैं तो बदले में संजय सिंह अमित को आगे की चर्चा के लिए मनीष सिसोदिया के पास ले जाएंगे, जो अमित ने किया था।' कुछ दिनों बाद अमित, दिनेश अरोड़ा और संजय सिंह सिसोदिया से मुलाकात के लिए उनके घर गए।

ईडी का कहना है कि सिसोदिया ने भरोसा दिया कि अमित अरोड़ा और दिनेश अरोड़ा की मांग के मुताबिक वह 2020-21 की नीति में ब्रांड रजिस्ट्रेशन क्राइटेरिया को बढ़ा देंगे। ईडी ने कहा कि इसके बदले में संजय सिंह के सहयोगी/टीम सदस्य के रूप में विवेक त्यागी को अमित अरोड़ा यानी मेसर्स अरालियास हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की व्यावसायिक कंपनी में हिस्सेदारी दी गई थी। ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में बदलाव के बदले अमित अरोड़ा की कंपनी में सिंह के सहयोगी को हिस्सेदारी, अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और संजय सिंह और सिसौदिया के बीच क्विड प्रो क्वो (एक दूसरे को फायदा पहुंचाना) था। हालांकि, नीति में यह बदलाव नहीं हो सका क्योंकि 2020-21 की पॉलिसी नहीं आई और 2019-20 को पॉलिसी को विस्तार दे दिया गया था।

   इससे पहले मई में ईडी ने संजय सिंह के दो करीबियों अजित सिंह और सरवेश मिश्रा के ठिकानों पर छापेमारी की थी। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने वाली एजेंसी इस केस में सिसोदिया के खिलाफ समेत 5 चार्जशीट दायर कर चुकी है और आरोप लगाया है कि शराब कारोबारियों का मुनाफा गलत तरीके से बढ़ाते हुए 12 पर्सेंट कर दिया गया और बदेल में उसने रिश्वत ली गई। इन्हीं आरोपों के तहत दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया लंबे समय से जेल में बंद हैं।  दिल्ली सरकार ने 2021-22 में दिल्ली में शराब कारोबार को नई दिशा देने के उद्देश्य से नई शराब नीति की घोषणा की थी। बिक्री आधारित व्यवस्था को खत्म करके व्यापारियों के लिए लाइसेंस फीस आधारित व्यवस्था की गई। पॉलिसी के तहत लोगों को शराब कीमत में काफी छूट मिली। हालांकि, इस नीति को तब अचानक बंद कर दिया गया जब कथित अनियमितता के आरोप लगने के बाद एलजी विनय सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी।