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लोकसभा चुनाव से पहले करीबी नेता को राहुल गांधी ने सौंपी बड़ी जिम्मेदारी

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नईदिल्ली

 पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक ओर अलग-अलग तबके के बीच जाकर पार्टी का जनाधार मजबूत करने में जुटे हैं, तो संगठन में विश्वस्त नेताओं को महत्वपूर्ण पद देकर अपनी टीम भी सुदृढ़ करना चाह रहे हैं।

कोषाध्यक्ष के रूप में अजय माकन की नियुक्ति इसी का हिस्सा है। माकन वही नेता हैं, जिन्होंने वर्ष भर पूर्व आलाकमान की मंशा अनुसार ही राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन करने का प्रयास किया था।

ये नेता माने जाते हैं राहुल के करीबी

जानकारों के मुताबिक केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला, सचिन पायलट, मानिक टैगोर जैसे नेता राहुल गांधी के करीबियों में माने जाते हैं।

इनमें से केसी तो संगठन महासचिव का अहम जिम्मा संभाल ही रहे हैं, रणदीप को कर्नाटक की जीत के बाद मध्य प्रदेश की कमान भी सौंप दी गई है। इसी कड़ी में अब माकन को पार्टी कोषाध्यक्ष बनाया जाना भी बड़ा फैसला माना जा रहा है।

कांग्रेस में कोषाध्यक्ष माना जाता है नंबर 2

वरिष्ठ कांग्रेसियों के मुताबिक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) में अध्यक्ष के बाद कोषाध्यक्ष को ही नंबर दो पर माना जाता है। यानी मल्लिकार्जुन खरगे के बाद अब माकन हो सकते हैं।

पूर्व में पार्टी कोषाध्यक्ष रहे सीताराम केसरी भी बाद में पार्टी अध्यक्ष बना दिए गए थे और लंबे समय तक बने रहे थे। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कोषाध्यक्ष का पद पार्टी में उसी नेता को मिलता रहा है, जो गांधी परिवार का खास हो।

अतीत में इस पद पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के ससुर उमाशंकर दीक्षित, अहमद पटेल, मोती लाल वोरा, पवन कुमार बंसल जैसे नेता रह चुके हैं।

माकन ने तय किया लंबा सफर

माकन को लेकर एक पहलू यह भी है कि वह प्रदेश इकाई से जुड़े पहले ऐसे नेता हैं, जो इस पद तक पहुंचे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष से लेकर एआईसीसी में इस पद तक पहुंचने में उन्होंने लंबा सफर तय किया है।

उनकी इस पदोन्नति से प्रदेश कांग्रेस के नेता भी खुश हैं और उन्हें सुखद भविष्य के लिए उम्मीद की किरण नजर आ रही है।
राजस्थान चुनाव से पहले या बाद में पायलट को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी

पार्टी सूत्र बताते हैं कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के पहले या बाद में सचिन पायलट को भी अहम जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। इसके अलावा आने वाले दिनों में एआईसीसी सहित प्रदेश इकाइयों के बदलाव में भी राहुल की ही पसंद को तवज्जो मिल सकती है।