दुनियाभर की किताबें बेशक मोबाइल की स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाती हैं, लेकिन हाथ में लेकर पुस्तक पढ़ने का क्रेज अभी भी कम नहीं हुआ है। खासकर डीयू, जेएनयू और जामिया विश्वविद्यालय के नजदीक के पुस्तकालयों में रोज काफी संख्या में युवा किताबें पढ़ने आते हैं। पुस्तकालयों में कभी-कभी तो सीट मिलना भी मुश्किल हो जाता है।
चांदनी चौक स्थित दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के चेयरमैन सुभाष चंद्र कांखेरिया बताते हैं कि शहरों के तंग कमरों में पढ़ाई करने में बाधा आती रहती है, जबकि लाइब्रेरी में ऐसा नहीं है। यहां पढ़ाई पर फोकस करना ज्यादा आसान है। वहीं, यूपीएससी की तैयारी कर रहे राजीव बाहिर ने बताया कि वह दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में दो साल से आ रहे हैं। रोज करीब आठ घंटे यहीं गुजरते हैं। यहां हर तरह की पुस्तकें मिल जाती हैं। वहीं वर्चुअल पुस्तकों की बात करें तो देर तक मोबाइल या लैपटॉप पर पढ़ने से आंखों पर जोर पड़ता है।