लखीमपुरखीरी
पांचवीं में पढ़ने वाला दस साल का छात्र क्या कोई ऐसा उत्पात मचा सकता है, जिससे गांव में बड़ा हंगामा या बवाल हो जाए। यह पढ़कर आप हैरत में पड़ गए होंगे लेकिन लखीमपुर खीरी के धौरहरा में पुलिस ने ऐसा ही किया है। मामला जब एसडीएम कोर्ट पहुंचा तो न्यायिक अधिकारी भी हैरत में पड़ गए। उन्होंने मामले में जांच बैठाकर दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है।
दरअसल, धौरहरा कोतवाली क्षेत्र के पिपरिया गांव में घूरे के विवाद को लेकर गतिरोध था। मामले में एक पक्ष ने कोतवाली में तहरीर दी। हल्का दरोगा राजन कुमार ने मामले की पड़ताल की। अपनी पड़ताल में दरोगा ने गांव के प्राइमरी स्कूल की पांचवी कक्षा के छात्र को शांतिभंग की आशंका में पाबंद कर चालान की रिपोर्ट उप जिलाधिकारी की कोर्ट में पेश की। छात्र जब एसडीएम के सामने पेश हुआ तो वह हैरत में रह गए। छात्र अपने गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ता है।
आधार कार्ड के मुताबिक उसकी जन्मतिथि तीन अगस्त 2013 है। दरोगा ने विवेचना में उसे 37 साल का युवक बना दिया। एसडीएम ने छात्र का आधार कार्ड देखा तो तत्काल नियमानुसार कार्रवाई करते हुए छात्र की जमानत दी। साथ ही मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने को कहा। प्राथमिक शिक्षक संघ धौरहरा के अध्यक्ष सौरभ मिश्रा ने कहा कि इस मामले से स्पष्ट हो गया है कि पुलिस ने भौतिक स्तर पर विवेचना न करके टेबल रिपोर्टिंग की है।
पुलिस की इस घोर लापरवाही और मनमानी पूर्ण रवैये से एक होनहार छात्र का भविष्य अंधकारमय हो गया है। छात्र पर की गई कार्रवाई निरस्त की जाए। साथ ही दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई हो। एसडीएम धौरहरा, धीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक छात्र को न सिर्फ शांतिभंग की आशंका में पाबंद किया गया। बल्कि उसकी उम्र में भी पुलिस के स्तर से हेरफेर किया गया। जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।