पितृपक्ष 29 सितंबर 2023 से आरंभ होकर14 अक्टूबर 2023 तक हैं. 15 दिन का ये समय हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण हैं. इन 15 दिनों में तीन ऐसी तिथियां है जिन पर किया गया श्राद्ध और तर्पण पितरों का विशेष आशीर्वाद दिला सकता है.
हिंदू पंचांग में वैसे तो हर तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है. पूर्वजों की मृत्यु तिथि के आधार पर श्राद्ध की तिथि निर्धारित होती है. लेकिन ये तीन तिथियां पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. ये तिथियां हैं भरणी श्राद्ध, नवमी श्राद्ध और सर्व पितृ अमावस्या या फिर अमावस्या श्राद्ध.
चतुर्थी श्राद्ध- 2 अक्टूबर 2023- भरणी श्राद्ध ( भरणी नक्षत्र शाम 6 बजकर 24 मिनट तक ही रहेगा) मान्यता है कि मृत्यु के एक साल बाद भरणी श्राद्ध जरूर करना चाहिए. जिनकी मृत्यु विवाह से पहले होती है उनका श्राद्ध पंचमी तिथि पर होता है. अगर पंचमी तिथि पर भरणी नक्षत्र लगा हो तो ये दिन और भी खास हो जाता है.
घर की माता, दादी, नानी का श्राद्ध नवमी श्राद्ध तिथि पर किया जाता है. इस दिन किए गए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध से इन पूर्वजों की कृपा परिवार पर रहती है. लेकिन अगर आपको अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि नहीं पता हो तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन इन पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है. ये तिथि 14 अक्टूबर 2023 को होगी.
श्राद्ध की तिथियां
29 सितंबर 2023, दिन शुक्रवार, पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर 2023, दिन शनिवार, द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023, दिन रविवार, तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर 2023, दिन सोमवार, चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर 2023, दिन मंगलवार, पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर 2023, दिन बुधवार, षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर 2023, दिन गुरुवार, सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर 2023, दिन शुक्रवार, अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर 2023, दिन शनिवार, नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर 2023, दिन रविवार, दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर 2023, दिन सोमवार, एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023, दिन बुधवार, द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023, दिन गुरुवार, त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023, दिन शुक्रवार, चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023, दिन शनिवार, सर्व पितृ अमावस्या