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अब ISRO की नजर शुक्र पर, ग्रह पर वायुमंडल और जहरीले बादलों की स्टडी करेगा शुक्रयान

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नईदिल्ली

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने कहा है कि शुक्र ग्रह (Venus) के वायुमंडल और उसके एसिडिक व्यवहार को समझने के लिए जरूरी है वहां एक मिशन भेजना. ताकि वहां के वायुमंडलीय दबाव की स्टडी की जा सके. शुक्र ग्रह का वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 100 गुना ज्यादा है. सोमनाथ इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी (INSA) में लेक्चर दे रहे थे.

सोमनाथ ने कहा कि हमें अभी तक यह नहीं पता कि इतने ज्यादा दबाव की वजह क्या है. शुक्र ग्रह के चारों तरफ जो बादलों की परत जमा है. उसमें एसिड भरा है. इसलिए कोई भी स्पेसक्राफ्ट या यान उसके वायुमंडल को पार करके सतह तक नहीं जा सकता. सौर मंडल की उत्पत्ति की जानकारी हासिल करने के लिए शुक्र की स्टडी जरूरी है.

शुक्र और मंगल ग्रह को ध्यान से देखें तो पता चलता है कि वहां जीवन क्यों नहीं है. इसे और गहराई से समझने के लिए जरूरी है कि वहां पर एक मिशन भेजा जाए. सोमनाथ के इस बयान से कुछ महीने पहले इसरो के एक वैज्ञानिक ने दावा किया था कि शुक्रयान मिशन में देरी हो सकती है. इसरो की तरफ से तैयारी पूरी है. लेकिन सरकार से ऑफिशियल परमिशन अभी तक नहीं मिली है.

भारत का पहला शुक्र मिशन है शुक्रयान

उस वैज्ञानिक ने कहा था कि समय पर अनुमति नहीं मिली तो हम शुक्रयान को अगले साल यानी 2024 में लॉन्च नहीं कर पाएंगे. अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर हमें सबसे बेहतरीन लॉन्च विंडो सात साल बाद यानी 2031 में मिलेगा. शुक्रयान भारत का पहला शुक्र मिशन (India's First Mission to Venus) होगा.

ज्वालामुखियों की स्टडी करेगा शुक्रयान

शुक्रयान एक ऑर्बिटर मिशन है. यानी स्पेसक्राफ्ट शुक्र ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए स्टडी करेगा. इसमें कई साइंटिफिक पेलोड्स होंगे. लेकिन सबसे जरूरी दो पेलोड्स हैं- हाई रेजोल्यूशन सिंथेटिक अपर्चर रडार और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार होंगे. शुक्रयान अंतरिक्ष से शुक्र ग्रह की भौगोलिक सरंचना और ज्वालामुखीय गतिविधियों की स्टडी करेगा. साथ ही उसके जमीनी गैस उत्सर्जन, हवा की गति, बादलों और अन्य चीजों की भी स्टडी करेगा. शुक्रयान एक अंडाकार कक्षा में शुक्र के चारों तरफ चक्कर लगाएगा.

चार साल तक करेगा शुक्र ग्रह की स्टडी

शुक्रयान मिशन की लाइफ चार साल की होगी. यानी इतने समय तक के लिए स्पेसक्राफ्ट बनाया जाएगा. उम्मीद जताई जा रही है कि शुक्रयान को GSLV Mark II रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. शुक्रयान का वजन 2500 किलोग्राम होगा. इसमें 100 किलोग्राम के पेलोड्स लगे होंगे. इसमें फिलहाल 18 पेलोड्स लगाने की खबर हैं हांलाकि यह फैसला बाद में होगा कि कितने पेलोड्स जाएंगे. इसमें जर्मनी, स्वीडन, फ्रांस और रूस के पेलोड्स भी लगाए जा सकते हैं.

सरकार का फोकस अभी गगनयान पर

सरकार का फोकस अभी गगनयान है. जिसमें भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में ले जाने की तैयारी है. इस चक्कर में शुक्रयान मिशन आगे बढ़ाया जा सकता है. कुछ दिन पहले इसरो के सतीश धवन प्रोफेसर और स्पेस साइंस प्रोग्राम के सलाहकार पी श्रीकुमार ने बताया कि इसरो को अब भी शुक्रयान को लेकर सरकार से अप्रूवल नहीं मिली है. हो सकता है कि इसमें देरी से शुक्रयान मिशन को साल 2031 तक टालना पड़े.

शुक्रयान मिशन में इसरो एक स्पेसक्राफ्ट बनाएगा जो शुक्र ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए उसकी स्टडी करेगा. इसकी लॉन्चिंग की शेड्यूल डेट दिसंबर 2024 तय हुआ था. लेकिन इसमें देरी होती दिख रही है. शुक्रयान का आइडिया साल 2012 में आया था. पांच साल बाद इसरो ने प्राइमरी स्टडी तब शुरू की जब डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने 2017-18 के बजट में 23 फीसदी की बढ़ोतरी की. फिर इसरो ने कई वैज्ञानिकों संस्थानों से पेलोड्स प्रपोजल मांगे.

ये लॉन्च विंडो मिस हुआ तो 2031 में मिलेगा मौका

आमतौर पर धरती से जब किसी अन्य ग्रह के लिए मिशन लॉन्च होता है तब लॉन्च विंडो देखा जाता है. यानी वह समय जब दूसरा ग्रह धरती के नजदीक होता है. शुक्र ग्रह के लिए बेहतरीन लॉन्च विंडो हर 19 महीने के बाद आता है. लेकिन अगर अनुमति मिलने में देरी, पेलोड्स तैयार होने में और रॉकेट तय करने में समय लगेगा. तो लॉन्च देरी से होगा.

ऐसा नहीं है कि बीच में समय नहीं मिलेगा. इसरो ने शुक्रयान की लॉन्चिंग के लिए बैकअप प्लान तैयार कर रखा है. इसरो के पास साल 2026 और 2028 में भी दो लॉन्च विंडो मिलेंगे. लेकिन ये विंडो 2024 से बेहतर नहीं हैं. क्योंकि सबसे कम ईंधन और कम दूरी को देखते हुए अगला बेहतरीन लॉन्च विंडो 2031 में मिलेगा.

2031 में NASA-ESA भी भेजेंगे यान

पी. श्रीकुमार ने कहा था कि शुक्रयान को 2024 में ही लॉन्च करना चाहिए लेकिन अगर ये नहीं होता है तो 2031 ही बेस्ट लॉन्च विंडो होगा. नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी साल 2031 में अपने-अपने शुक्र मिशन प्लान करके रखे हैं. इनके नाम है VERITAS और EnVision. ये भी हो सकता है की चीन अपना शुक्र मिशन साल 2026 या 2027 में कभी लॉन्च करे. हालांकि उसके मिशन के बारे में फिलहाल अंतरराष्ट्रीय विज्ञान जगत को कोई जानकारी नहीं है.

इसरो की प्लानिंग थी कि शुक्रयान को साल 2023 के मध्य में लॉन्च किया जाएगा. लेकिन कोविड की वजह से इस मिशन की लॉन्च डेट को आगे बढ़ाकर दिसंबर 2024 कर दिया गया था. इसके अलावा इसरो के और भी दो मिशनों में देरी हुई है. चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) और आदित्य-एल1 (Aditya-L1) भी अलग-अलग वजहों से लेट हुए हैं.