भोपाल
विधानसभा चुनाव में दिग्गज नेताओं को उतारने का फार्मूला भाजपा के लिए सरकार बनाने में सफलता की गारंटी बनेगा या नहीं, यह सवाल भाजपा ने अन्य राज्यों में किए गए प्रयोग को देखकर उठ रहा है। ऐसा नहीं है कि मप्र में पहली बार भाजपा ने अपने दिग्गज नेताओं को विधानसभा चुनावों में उतारा है। इससे पहले भी वह प. बंगाल, केरल और कर्नाटक में यह प्रयोग कर चुकी है।
इनमें से तीन राज्यों में पार्टी सरकार नहीं बना सकी। सांसदों और दिग्गजों को विधानसभा का चुनाव लड़ाने के फार्मूले पर कर्नाटक में भी भाजपा ने चुनाव लड़ा था, लेकिन यहां पर भाजपा फिर से सरकार नहीं बना सकी थी। अब प्रदेश में देखना होगा कि भाजपा के सभी दिग्गज नेताओं के चुनावी मैदान में उतरने के बाद क्या परिणाम आते हैं। सोमवार को भाजपा ने अपनी दूसरी सूची में 39 प्रत्याशियों का ऐलान किया था।
इस लिस्ट में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर एक, दिमनी से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, निवास से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, नरसिंहपुर से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, जबलपुर पश्चिम से सांसद राकेश सिंह को उतारा है। ये पांचों प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं।
हालांकि इन पांचों नेताओं की अपने-अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ के साथ ही जनता में भी खासी पैठ है। इनके अलावा सतना से सांसद गणेश सिंह, सांसद रीति पाठक सीधी से और गाडरवाड़ा से सांसद उदय प्रताप सिंह को चुनाव में उतारा है।
प. बंगाल विधानसभा चुनाव
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो टॉलीगंज से विधानसभा का हार गए थे। इसी तरह सांसद लॉकेट चटर्जी चुचुरा से हार गए थे। सांवद स्वपन दासगुप्ता तारकेश्वर से चुनाव हार गए थे।
केरल विधानसभा चुनाव
केरल में हुए विधानसभा चुनाव में सुरेश गोपी त्रिशूर से और केजे अल्फोंस विधानसभा कन्जिराप्पल्ली से चुनाव हार गए थे।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव
भाजपा के राष्टÑीय महामंत्री सीटी रवि भी इसी साल कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में हार गए थे। वे चिकमंगलूर से चार बार के विधायक थे और यहां के दिग्गज नेताओं में शुमार थे।