भोपाल.
मध्यप्रदेश शासन ने अपने कर्मचारियों को 35 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर चौथे समयमान वेतन का लाभ देने के लिए कुछ दिन पूर्व शासनादेश जारी किया था, यह लाभ शासकीय सेवकों को किस प्रकार से दिया जाए, वेतन निर्धारण किस प्रकार किया जायेगा, इसे लेकर अनेक भ्रांतियां और असमंजस की स्थिति थी। क्योंकि गलत वेतन निर्धारण होने पर अधिक भुगतान की स्थिति बन सकती है जिससे बाद में न्यायालयीय विवाद में शासन पक्ष और कर्मचारी पक्ष दोनों का समय व धन का अपव्यय होता है। इसलिए शासनादेश की व्याख्या कर उसका सरल भाषा में अनुवाद की आवश्यकता थी।
इस पुस्तक में शासनादेश का सरलीकरण किया जाकर वेतन निर्धारण किस प्रकार किया जायेगा इसे उदाहरण सहित समझाया गया है। तालिकाओं के माध्यम से वेतन निर्धारण की प्रत्येक स्टेज को सुगम बनाकर प्रस्तुत किया गया है। जनहित और शासन हित में किये गए इस महत्वपूर्ण कार्य को मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री महोदय द्वारा भी सराहा जाकर इस पुस्तक के लेखक डॉ अजित बाबू जैन को बधाई दी गई है।