भोपाल
शहर में मेट्रो मूवमेंट तेज होता जा रहा है। इसकी पहली रैक सुभाष नगर स्थित डिपो पर पहुंच चुकी है। इसके कोच की असेंबलिंग का काम भी पूरा कर लिया गया है। अब आज दोपहर बाद इसे डिपो में स्थित टेस्ट ट्रैक पर दौड़ाया जाएगा, इसके बाद मेट्रो रैंप के सहारे वायडक्ट में पहुंचेगी। इससे पहले ट्रायल ट्रैक पर थर्ड रेल की चार्जिंग का काम भी शुरू हो गया है, इसी के सहारे मेट्रो का संचालन किया जाएगा।
मेट्रो ट्रेन अभी डिपो में खड़ी है। इसे 2 किलोमीटर के टेस्टिंग ट्रैक पर दौड़ाने के बाद रैंप तक लाया जाएगा। यदि सब कुछ ठीक रहा तो इसे वायडक्ट पर सुभाष नगर से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन तक दौड़ाया जाएगा। इसमें खास बात यह है कि भोपाल व इंदौर में मेट्रो का संचालन थर्ड रेल तकनीकी से किया जाना है। इससे ट्रेन रुकने के दौरान ब्रेक लगाने से जो उर्जा बेकार हो जाती थी, अब उसका भी पुर्नउत्पादन हो पाएगा। यानि कि ट्रेन में लगने वाले ब्रेक्स से पैदा होने वाली ऊर्जा को वापस सिस्टम में भेज दिया जाएगा। इससे भोपाल और इंदौर मेट्रो के संचालन में 40 से 45 फीसदी तक ऊर्जा की बचत होगी। इसके लिए रेलवे ट्रैक पर थर्ड रेल डीसी ट्रैक्सन सिस्टम लगाया गया है।
श्राद्ध पक्ष में होगा मेट्रो का ट्रायल रन, तैयारियां तेज
राजधानी में चलने वाले मेट्रो का ट्रायल रन श्राद्ध पक्ष के दौरान किया जाएगा। इसके लिये दो अक्टूबर को इसको सुभाष नगर डिपो से रानी कमलापति स्टेशन तक चलाया जाएगा। इसके लिये रूट फायनल कर लिया गया है । इससे पहले सुभाष नगर से आरकेएमपी तक मेट्रो की तीन से चार दिन प्री टेस्टिंग होगी। आगामी दो अक्टूबर को मेट्रो ट्रायल रन का शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में सुभाष नगर स्टेशन से किया जाएगा, लेकिन उससे पहले इसको पूरी तरह से अपडेट किया जाएगा।
रातोंरात बनी केंद्रीय विद्यालय तक की सड़क
राजधानी में मेट्रो मूवमेंट का काम कितना तेज चल रहा है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि डीबा माल से लेकर केन्द्रीय विद्यालय तक आने वाली सड़क को रातोरात बना दिया गया है। इसके साथ ही सुभाष नगर डिपो की ओर जाने वाली सड़क पर भी डामर बिछा दिया गया है। इस संबंध में मेट्रो परियोजना के पीआरओ हिमांशु ग्रोवर का कहना है कि हमने इसके टेस्ट ट्रायल की तैयारियां पूरी कर ली हैं। यह अब जल्द ही सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन के बीच कई बार अपडाउन करेगी। यह सब पहले चरण में सेफ्टी ट्रायल के चलते होगा। इस दौरान इसमें यात्री नहीं बल्कि इंजीनियर और मेट्रो के कर्मचारी होंगे जो इसके मूवमेंट का रिव्यू करेंगे।