Home व्यापार FPI ने इस महीने अबतक शेयर बाजारों से 10,164 करोड़ रुपये निकाले

FPI ने इस महीने अबतक शेयर बाजारों से 10,164 करोड़ रुपये निकाले

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नई दिल्ली
अमेरिका में ऊंची ब्याज दर, मंदी की आशंका और घरेलू शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर के पहले तीन सप्ताह (22 सितंबर) में भारतीय शेयर बाजारों से 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निकाले हैं।

इससे पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह माह भारतीय शेयरों में शुद्ध लिवाल रहे थे। इस दौरान उन्होंने 1.74 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ''चूंकि मूल्यांकन अब भी ऊंचा है और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल (10 साल के लिए 4.49 प्रतिशत) आकर्षक बना हुआ है, ऐसे में एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं।''

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक इस महीने अबतक 15 कारोबारी दिवस में से 11 में शुद्ध बिकवाल रहे हैं और उन्होंने शेयरों से शुद्ध रूप से 10,164 करोड़ रुपये निकाले हैं।

इससे पहले अगस्त में शेयरों में एफपीआई का प्रवाह चार माह के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपये पर आ गया था।

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक – प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ''पिछले कुछ सप्ताह से एफपीआई के निवेश का प्रवाह सुस्त है। उनकी इस हिचकिचाहट के पीछे मुख्य वजह मुद्रास्फीति को लेकर चिंता और विशेषरूप से अमेरिका में ब्याज दर परिदृश्य तथा वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर अनिश्चितता है।''

आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में 295 करोड़ रुपये डाले हैं। इस तरह चालू कैलेंडर साल में अबतक शेयरों में एफपीआई का निवेश 1.25 लाख करोड़ रुपये रहा है। वहीं बॉन्ड बाजार में उन्होंने 28,476 करोड़ रुपये से ज्यादा डाले हैं।

जल्द खत्म हो रही है एमएफ निवेशकों, डीमैट खातोंधारकों के लिए उत्तराधिकारी नामित करने की समयसीमा

नई दिल्ली
 सभी व्यक्तिगत डीमैट खाताधारकों और म्यूचुअल फंड निवेशकों के पास अपने उत्तराधिकारी को नामित करने या एक घोषणापत्र भरकर योजना से बाहर निकलने का विकल्प चुनने के लिए 30 सितंबर तक का समय है।

ऐसा नहीं करने पर निवेशकों के डीमैट खातों और फोलियो पर रोक लग जाएगी, यानी उन्हें 'फ्रीज' कर दिया जाएगा और वे अपने निवेश को निकाल नहीं पाएंगे।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार, यह आदेश नए और मौजूदा दोनों निवेशकों पर लागू होगा।

यह कदम निवेशकों को अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने और उन्हें उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को सौंपने में मदद करने को उठाया गया है।

'फायर्स' के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) तेजस खोडे ने कहा, ''यह किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मामले में निवेशकों के कानूनी उत्तराधिकारियों को प्रतिभूतियों के सुचारू और सुगम हस्तांतरण को सुनिश्चित करेगा।''

सेबी के नए नियमों के अनुसार, नए निवेशकों को ट्रेडिंग और डीमैट खाते खोलते समय अपनी प्रतिभूतियों के लिए 'नामांकन' देना होगा या घोषणापत्र के जरिये बाहर निकलने का विकल्प चुनना होगा।

मौजूदा निवेशक (संयुक्त रूप से रखे गए म्यूचुअल फंड फोलियो सहित) यदि इस समयसीमा को पूरा करने में विफल रहते हैं, तो उनके फोलियो को फ्रीज कर दिया जाएगा और वे उसमें से अपना निवेश नहीं निकाल पाएंगे। इसके अलावा निवेशकों के डीमैट खाते या म्यूचुअल फंड फोलियो तब तक 'फ्रीज' जब तक कि वे नामांकन नहीं करते या बाहर निकलने का विकल्प नहीं चुनते हैं।

आनंद राठी वेल्थ के उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) फिरोज अजीज ने कहा कि सभी व्यक्तिगत डीमैट खाताधारकों और म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए किसी को नामांकित करने की 30 सितंबर, 2023 की समयसीमा सेबी की ओर से उठाया गया एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम है।

जुलाई, 2021 में सेबी ने सभी मौजूदा पात्र ट्रेडिंग और डीमैट खाताधारकों को 31 मार्च, 2022 को या उससे पहले नामांकन का विकल्प प्रदान करने के लिए कहा था। बाद में इसे एक साल और बढ़ाकर 31 मार्च, 2023 तक कर दिया गया था।

म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों के संबंध में नियामक ने 15 जून, 2022 को अपने परिपत्र में म्यूचुअल फंड ग्राहकों के लिए एक अगस्त, 2022 को या उसके बाद नामांकन से बाहर निकलने के लिए नामांकन विवरण या घोषणा देना अनिवार्य कर दिया था। इसे एक अक्टूबर, 2022 तक और फिर मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया गया।

बाजार भागीदारों से मिले आग्रह के बाद फोलियो और डीमैट खातों को फ्रीज करने का प्रावधान 31 मार्च, 2023 के बजाय 30 सितंबर, 2023 से लागू करने का फैसला किया गया।

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अतीत में कई निवेशक खाते बिना किसी को नामित किए खोले गए हैं। ऐसे मे सही उत्तराधिकारी को संपत्ति के हस्तांतरण में कठिनाई आती है। ऐसे में यह कदम काफी अच्छा है और इससे संपत्ति के हस्तांतरण में आने वाले मुश्किलों से निजात मिलेगी।