पटना
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज हरियाणा के कैथल में होने वाले आज इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के कार्यक्रम से दूरी बना ली है. यह कार्यक्रम इनेलो पूर्व उपमुख्यमंत्री ताऊ देवीलाल की जयंती पर कर रही है जिसमें विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन के नेता भी पहुंच रहे हैं.
अब नीतीश कुमार ने इस कार्यक्रम में जाने की बजाय पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में जाने का फैसला किया है जिसका आयोजन पटना में किया जा रहा है. नीतीश के इस कदम को सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है और इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं.
नीतीश ने आज ही बुलाई कैबिनेट
नीतीश के इस कदम पर जेडीयू की प्रतिक्रिया भी आई है.जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार पुरखों का सम्मान करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि नीतीश कुमार ने आज ही कैबिनेट की बैठक भी बुलाई है जबकि बिहार में आमतौर पर कैबिनेट की बैठक मंगलवार को होती है. इससे पहले नीतीश कुमार कल जेडीयू दफ्तर पहुंचे थे जहां उनको कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी और फिर यहां से वह राबड़ी देवी के आवास चले गए थे.
बीजेपी के मार्गदर्शक रहे हैं पं. दीनदयाल उपाध्याय
आपको बता दें कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय सन 1953 से 1968 तक भारतीय जनसंघ के नेता रहे थे. भाजपा की स्थापना के समय से ही वह इसके वैचारिक मार्गदर्शक और नैतिक प्रेरणा-स्रोत रहे हैं. उनकी जयंती पर बीजेपी हर साल बड़े स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन करती रही है. बीजेपी शासित राज्यों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर कई योजनाएं संचालित होती हैं.
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आज कैथल में विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन
कैथल में आज इंडियन नेशनल लोकदल जो रैली हो रही है उसमें नीतीश कुमार को भी शामिल होना था. कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार इनेलो को I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल करना चाहते हैं. इनेलो के इस रैली में तेजस्वी यादव, फारूख अब्दुल्ला, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी, पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक के अलावा अन्य नेताओं के भी शामिल होने की बात कही जा रही है.
पिछले साल भी जब 25 सितंबर को इनेलो ने चौधरी देवीलाल की जयंती पर फतेहाबाद में एक कार्यक्रम किया था तो उसमें विपक्ष के कई नेता जुटे थे जिनमें नीतीश कुमार, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना के अरविंद सावंत, शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर बादल और कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी शामिल थे.
यूं ही नहीं लग रही हैं अटकलें
नीतीश ने हाल के दिनों कई ऐसे कदम उठाए हैं जिससे अटकलों का बाजार गर्म है. जी 20 सम्मेलन में शामिल होने आए राष्ट्राध्यक्षों के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से आयोजित डिनर में नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात की थी और दोनों नेताओं में गर्मजोशी देखने मिली थी. इसके बाद केंद्र ने 15वें वित्त आयोग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बिहार को 3884 करोड़ रुपये की राशि देने की अनुशंसा कर दी थी. कुछ समय पहले जब I.N.D.I.A. गठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली मीटिंग शरद पवार के आवास पर हुई थी जिसमें जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह को पहुंचना था लेकिन उससे पहले वह बीमार हो गए.
कौन थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय
पंडित दीनदयाल अपनी निष्ठा और ईमानदारी के लिए भी जाने जाते थे. उनकी मानना था कि हिंदू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं बल्कि भारत की संस्कृति है. वे अखंड भारत के समर्थक रहे, उन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को परिभाषित किया और समाज के सर्वांगीण विकास और उत्थान के लिए भी अनेक कार्य किए. कहा जाता है कि उपाध्याय ने ही 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा दी थी. 1940 के दशक में उन्होंने हिंदुत्व राष्ट्रवाद की विचारधारा के प्रसार के लिए लखनऊ से मासिक राष्ट्रीय धर्म की शुरुआत की. उन्होंने पांचजन्य और दैनिक स्वदेश भी शुरू किया था.1942 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में शामिल हो गए, जिन्हें प्रचारक के नाम से जाना जाता है.