संयुक्त राष्ट्
पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के भारत के खिलाफ आरोपों का इस्तेमाल इस्लामाबाद के आतंकवाद के अपने रिकॉर्ड से ध्यान भटकाने के लिए किया है। जिलानी ने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कनाडा का मुद्दा "बहुत दुर्भाग्यपूर्ण" है और "बहुत, बहुत गंभीर स्थिति" है।
ट्रूडो ने जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया है। खालिस्तान समर्थक निज्जर को भारत ने आतंकवादी घोषित कर रखा था। जिलानी ने जोर देकर कहा कि भारत ने दक्षिण एशियाई देशों में हत्याएं की हैं, "लेकिन यह शायद पहली बार है कि यह वैश्विक हो गया है"। उन्होंने कहा, "यह उस मुखौटे की तरह है जो उन्होंने भारतीयों के चेहरे से उतार दिया है।"
उन्होंने कहा कि चूंकि यह "एक बहुत ही महत्वपूर्ण देश में हुआ, जो जी20 का सदस्य है, जो (नाटो) गठबंधन प्रणाली का भी हिस्सा है", शायद "यह दुनिया के लगभग हर कोने में चिंताएं बढ़ाएगा।" एक पत्रकार द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या कश्मीर पर पाकिस्तान की दलीलों को अनसुना किया जा रहा है, जिलानी ने कहा कि उन्हें देशों और समूहों के साथ हुई बैठकों में व्यापक समर्थन मिला।
उन्होंने कहा कि "कश्मीर के लोगों को जो समर्थन दिया जा रहा है या दिया जाता रहेगा उसे दोहराया गया है", और "हमने जो भी बातचीत की है हमें उससे ऐसा ही लगा है – चाहे वे द्विपक्षीय बैठकें हों या क्या वे समग्र मंत्रिस्तरीय बैठकें या (इस्लामी सहयोग संगठन) संपर्क समूह"।
हालाँकि, वास्तव में, महासभा की उच्च-स्तरीय बैठक के लगभग तीन-चौथाई भाग में 193 देशों के नेताओं में से 147 पहले ही बोल चुके हैं। उनमें पाकिस्तान के अलावा सिर्फ तुर्की ने कश्मीर का उल्लेख किया है।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने कश्मीर का हल्का संदर्भ देते हुए इसे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मुद्दा बताया और कहा कि "भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत और सहयोग के माध्यम से कश्मीर में न्यायसंगत और स्थायी शांति की स्थापना से "दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि" आएगी।पिछले साल के सत्र में भी तुर्की पाकिस्तान के अलावा कश्मीर पर बोलने वाला एकमात्र देश था।