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 देशभर के छात्र होंगे शामिल- जी-20 के अनुभवों को अब उच्च शिक्षण संस्थानों और छात्रों के साथ शेयर करेंगे PM मोदी

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नई दिल्ली
 जी- 20 सम्मेलन के सफल आयोजन के जरिये वैश्विक स्तर पर धाक जमाने के बाद केंद्र सरकार का अब पूरा फोकस इसके निष्कर्षों और संपर्कों के जरिये लाभ उठाने पर है। फिलहाल इस दिशा में एक अहम पहल की गई है , जिसमें जी-20 देशों के साथ शुरू किए गए यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम को और रफ्तार दी जाएगी।

विभिन्न शोधों पर आधारित कार्यक्रम का होगा आयोजन
इस दौरान जी-20 देशों के उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध, इनोवेशन और सूचना प्रणाली को लेकर किए जाने वाले कार्यों से परिचित होने का मौका भी मिलेगा। माना जा रहा है कि इस पहल से भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों और इनमें पढ़ने वाले छात्रों को शोध और इनोवेशन के क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी) ने इसे लेकर पूरा खाका तैयार किया है। इसके तहत 26 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल भारत मंडपम में भव्य आयोजन की तैयारी है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संबोधित कर सकते हैं।

जी-20 के आयोजन के सुखद अनुभव शेयर करेंगे पीएम
बैठक में शामिल होने के लिए देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों, शिक्षकों और छात्रों को बुलाया गया है। इस मौके पर उनके साथ जी-20 के आयोजन के सुखद अनुभवों को भी साझा किया जाएगा। खास बात यह है कि जी-20 के तहत देश के अलग-अलग शहरों में साल भर में करीब 200 बैठकें आयोजित हुई थीं। सूत्रों की मानें तो पीएम इस मौके पर उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षक व छात्रों से जी-20 से जुड़े विषयों पर चर्चा भी कर सकते हैं। इस बीच शिक्षा मंत्रालय ने जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम के तहत फिलहाल जी-20 के जिन प्रमुख सदस्य देशों के साथ शोध और इनोवेशन गतिविधियों को लेकर चर्चा की है, उनमें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका व फ्रांस जैसे देश शामिल हैं।

शोध और इनोवेशन को बढ़ावा देगा एनआरएफ
ये सभी देश शोध और इनोवेशन पर बड़ी राशि खर्च करते हैं। भारत ने भी इस दौरान शोध व इनोवेशन के क्षेत्र में दुनिया के सामने अपने कदमों को प्रमुखता से रखा था। इसके बाद तो जी- 20 के सभी देश उसके साथ ही जुड़ने को लेकर उत्साहित थे। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में शोध और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) का गठन किया है। साथ ही अगले पांच सालों में इस क्षेत्र में 50 हजार करोड़ से ज्यादा राशि खर्च करने का लक्ष्य भी रखा है।