नई दिल्ली
आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 में ओस (dew) की बड़ी भूमिका होगी, क्योंकि अक्टूबर-नवंबर के महीने में भारत के तमाम हिस्सों में रात को ओस पड़ती है, जिससे टॉस की भूमिका अहम हो जाती है। इसी से बचने के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आईसीसी ने कुछ बड़े कदम उठाए हैं। आईसीसी ने सभी स्टेडियमों के पिच क्यूरेटरों को बताया है कि उन्हें क्या करना है।
रिपोर्ट की मानें तो वर्ल्ड कप 2023 के लिए चुने गए सभी वेन्यू के पिच क्यूरेटरों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि उनको पिच पर घास छोड़नी है, जिससे कि मैच में पेसर्स हमेशा बने रहें। इसके अलावा पिच क्यूरेटरों को ये भी कहा गया है कि बाउंड्री साइज ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए। इससे ड्यू फैक्टर कम हो जाएगा और मैच रोमांचक होंगे और टॉस की भूमिका अहम नहीं होगी।
2021 में यूएई में हुआ टी20 वर्ल्ड कप भी ओस से काफी प्रभावित रहा था और दूसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाली टीम को काफी फायदा हुआ था। भारतीय परिस्थितियां आमतौर पर स्पिन के लिए अधिक अनुकूल होती हैं, लेकिन आईसीसी ने क्यूरेटर को पिचों पर यथासंभव अधिक घास छोड़ने के लिए कहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तेज गेंदबाज खेल में बने रहें।
सूत्र ने टीओआई को बताया, "वर्ष के इस समय भारत के उत्तरी, पश्चिमी और पूर्वी राज्यों में भारी ओस पड़ने की संभावना है। चेन्नई और शायद बेंगलुरु में होने वाले मैचों में बारिश होने की संभावना है। मुख्य विचार टॉस को यथासंभव समीकरण से दूर रखना है। ओस का असर स्पिनरों के प्रदर्शन पर काफी हद तक पड़ता है। अधिक घास होने से टीमों को स्पिनरों पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।"
बल्ले और गेंद के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए यह सुझाव दिया गया है कि स्टेडियमों में यथासंभव अधिकतम बाउंड्री साइज होना चाहिए। सभी स्टेडियमों में लगभग 70 मीटर की बाउंड्री रखने के लिए कहा गया है। सूत्र का कहना है, "अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए सीमाओं का न्यूनतम आकार 65 मीटर और अधिकतम 85 मीटर है। पुराने केंद्रों की सीमा का आकार लगभग 70-75 मीटर है। यह सुझाव दिया गया है कि बाउंड्री 70 मीटर से अधिक रखी जानी चाहिए।"