रांची
रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जमीन और खनन घोटाले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जारी समन के मामले में हेमंत को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने उनकी याचिका खारिज करते हुए झारखंड हाईकोर्ट में अपील करने को कहा है। इधर, ईडी ने मुख्यमंत्री को चौथा समन भेजकर 23 सितंबर को ईडी कार्यालय आने को कहा है, जहां उनसे पूछताछ होगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने सुनवाई की शुरुआत में ही हेमंत सोरेन के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पूछा कि राहत के लिए पहले झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया।
जवाब में मुकुल राेहतगी ने कहा कि ईडी का समन ही मनमानी है। जस्टिस त्रिवेदी ने रोहतगी से कहा कि हाईकोर्ट जाएं। हेमंत की ओर से कहा गया कि ईडी समन डराने, धमकाने और अपमानित करने के लिए भेजा है। यह समन सीएम पद को भी नीचा दिखाती है। क्योंकि समन में चीफ मिनिस्टर ऑफ झारखंड को संबोधित करके लिखा गया है, ना कि हेमंत सोरेन को एक व्यक्ति के लिहाज से। जस्टिस बोस ने कहा कि देखिए यह मामला सामान्य तौर पर हाईकोर्ट से शुरू होना चाहिए। इसके बाद मुकुल रोहतगी याचिका वापस लेने पर सहमत हुए।
ईडी की दलील खारिज, कोर्ट बोला- दी जा सकती है समन को चुनौती
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट से सोरेन के धन शोधन िनवारण अधिनियम 2002 की धारा 50 और 63 की संवैधानिकता से संबंधित मुद्दों को फिर से चुनौती देने से रोकने का आग्रह किया। राजू ने दलील दी कि याचिकाकर्ता को पूछताछ के लिए बुलाने पर याचिका सुनवाई योग्य नहीं हो सकती है। इसलिए उनके आग्रह को न माना जाए। वहीं, ईडी की दलील को खारिज करते हुए जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि उन्हें चुनौती देने का पूरा अधिकार है। हम यह नहीं कह सकते हैं कि वह समन को चुनौती नहीं दे सकते हैं। बता दें कि हेमंत सोरेन ने एक अलग से हस्तक्षेप याचिका दायर कर ईडी पर आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती देने के बाद भी समन जारी रखा है।
सुप्रीम कोर्ट में तर्क: सीएम के तौर पर उपस्थित होने का समन ही गलत
समन पर रोक लगाने और उसे रद्द करने की मांग करने वाली याचिका में सीएम ने धमकाने, अपमानित करने और डराने- धमकाने के लिए बार-बार किए गए समन को राजनीति से प्रेरित बताया है। सीएम ने कोर्ट को बताया है कि ये समन अपमानजनक, अनुचित और अवैध होने के अलावा किसी राज्य के सीएम के उच्च पद की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं। याचिका में लिखा है कि झारखंड के सीएम के रूप में उनकी उपस्थिति की मांग करना ना केवल अनुचित है, बल्कि उनके पद का अत्यधिक अपमान है। समन ईडी के राजनीतिक मकसद और एजेंडे को उजागर करता है।
जानिए… ईडी के समन को लेकर अब तक क्या हुआ
8 अगस्त 2023: ईडी ने सीएम को पहली बार 8 अगस्त को समन भेजा था। इसमें उन्हें 14 अगस्त को रांची कार्यालय में हाजिर होने का निर्देश दिया था। 14 अगस्त 2023: 14 अगस्त को सीएम ईडी कार्यालय नहीं पहुंचे। इसके बदले उन्होंने ईडी को पत्र भेज कर बताया कि वह इसे कानूनी तरीके से निपटेंगे। 19 अगस्त 2023: ईडी ने 19 अगस्त को दूसरा समन जारी किया गया। इसमें उन्हें 24 अगस्त को हाजिर होने को कहा। 23 अगस्त 2023: सोरेन ने ईडी के समन को चुनौती देते हुए 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दायर की। 1 सितंबर 2023: जब सीएम 24 अगस्त को भी नहीं आए तो ईडी ने 1 सितंबर को तीसरा समन भेजकर 9 सितंबर को बुलाया। 17 सितंबर 2023: ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में 18 सितंबर को होने वाली सुनवाई से 1 दिन पूर्व चौथा समन भेजा।
सीएम हाईकोर्ट में 23 से पहले दायर कर सकते हैं याचिका
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शिशिर राज ने बताया कि सीएम हेमंत सोरेन को ईडी ने 23 सितंबर को पूछताछ के लिए बुलाया है। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने सीएम को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है। इसलिए 23 सितंबर से पहले सीएम हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।