मध्य प्रदेश के मुरैना शहर से 5 किमी की दूरी पर स्थित मुरैना गांव में दाऊजी मंदिर बना हुआ है. यहां भगवान श्री द्वारिकाधीश को दाऊ जी के नाम से जाना जाता है. खास बात यह है कि यहां भगवान साढे तीन दिनों के लिए आते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. देश विदेश के भक्त यहां अक्सर दर्शन के लिए आते हैं.
क्षेत्रीय भाषा में एक कहावत है कि “कलि में आए करौली न देखी और न देखि मुरैना की लीला” तो आपका जीवन व्यर्थ है. यानि कलियुग में राजस्थान के करौली में विराजमान राज-राजेश्वरी मां भवानी और मुरैना गांव में स्थित दाऊजी (द्वारिकाधीश के प्रतिरूप) के दर्शन नहीं किए तो इंसान का जीवन बेकार है.
जानिए क्या है मान्यता
मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर के बारे में मान्यता है कि दीपावली के दूसरे दिन यानि गोवर्धन पूजा पर भगवान द्वारिकाधीश गोकुल जाते हैं. यहां से गोवर्धन पूजा के बाद सीधे मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर में साढ़े तीन दिन की मेहमानी करने के लिए आते हैं. इन साढ़े तीन दिनों तक द्वारिका में भगवान के मंदिर के पट बंद रहते हैं.
भगवान के आगमन पर गांव में एक बच्चा लेता है जन्म
मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर के महंत के पुत्र रवि कांत शर्मा बताते हैं कि मुरैना गांव में तकरीबन 300 साल से भगवान मेहमानी करने आ रहे हैं. परंपरा के अनुसार भगवान के आगमन से 15 से 20 दिन के अंदर गांव के स्वामी परिवार में एक बच्चा जन्म लेता है, जिसे भगवान का बाल स्वरूप माना जाता है. इस बार गांव के अशोक स्वामी के नाती का जन्म हुआ था.शर्मा ने आगे बताया कि यहां भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और शहर के लोग यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.